Hindi Poem of Kaka Hasrati’“Ghoos Mahatmay , “घूस माहात्म्य ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

घूस माहात्म्य – काका हाथरसी

Ghoos Mahatmay –Kaka Hasrati

 

कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार

 ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार

 बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी

 माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी

 कहँ ‘काका’, क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा

 जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा

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