Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “aanchal me saja lena kaliya julfo mein sitare bhar lena , “आँचल मे सज़ा लेना कलियाँ जुल्फों मे सितारे भर लेना ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

आँचल मे सज़ा लेना कलियाँ जुल्फों मे सितारे भर लेना – मजरूह सुल्तानपुरी

aanchal me saja lena kaliya julfo mein sitare bhar lena – Majruh Sultanpuri

 

आँचल में सजा लेना कलियाँ जुल्फों में सितारे भर लेना
ऐसे भी कभी जब शाम ढले तब याद हमें भी कर लेना

आया था यहाँ बेगाना सा कहल दूंगा कहीं दीवाना सा
दीवाने के खातिर तुम कोई इलज़ाम न अपने सर लेना

रास्ता जो मिले अनजान कोई आ जाए अगर तूफान कोई
अपने को अकेला जान के तुम आँखों मे न आंसूं भर लेना

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