Hindi Poem of Ghalib “Navede-Amn hai bedade dost ja ke liye , “नवेदे-अम्न है बेदादे दोस्त जाँ के लिए ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

नवेदे-अम्न है बेदादे दोस्त जाँ के लिए – ग़ालिब

Navede-Amn hai bedade dost ja ke liye -Ghalib

 

नवेदे-अम्न[1]है बेदादे दोस्त[2]जाँ के लिए
रही न तर्ज़े-सितम[3]कोई आसमाँ के लिए

बला से गर मिज़्गाँ-ए-यार[4]तश्ना-ए-ख़ूँ[5]है
रखूँ कुछ अपनी भी मि़ज़्गाँने-ख़ूँफ़िशाँ[6]के लिए

वो ज़िन्दा हम हैं कि हैं रूशनासे-ख़ल्क़[7]- ए -ख़िज्र[8]
न तुम कि चोर बने उम्रे-जाविदाँ[9]के लिए

रहा बला में भी मैं मुब्तिला-ए-आफ़ते-रश्क[10]
बला-ए-जाँ[11]है अदा तेरी इक जहाँ, के लिए

फ़लक न दूर रख उससे मुझे, कि मैं ही नहीं
दराज़-ए-दस्ती-ए-क़ातिल[12]के इम्तिहाँ के लिए

मिसाल यह मेरी कोशिश की है कि मुर्ग़े-असीर[13]
सरे क़फ़स[14]में फ़राहम[15]ख़स[16]आशियाँ [17]के लिए

गदा[18]समझ के वो चुप था मेरी जो शामत आए
उठा और उठ के क़दम, मैंने पासबाँ के लिए

बक़द्रे-शौक़[19]नहीं ज़र्फ़े-तंगना-ए-ग़ज़ल[20]
कुछ और चाहिए वुसअत[21]मेरे बयाँ[22]के लिए

दिया है ख़ल्क[23]को भी ता उसे नज़र न लगे
बना है ऐश तजम्मल हुसैन ख़ाँ[24]के लिए

ज़बाँ पे बारे-ख़ुदाया ये किसका नाम आया
कि मेरे नुत्क़ [25]ने बोसे मेरी ज़ुबाँ के लिए

नसीरे-दौलत-ओ-दीं[26]और मुईने-मिल्लत-ओ-मुल्क़[27]
बना है चर्ख़े-बरीं[28]जिसके आस्ताँ[29]के लिए

ज़माना अह्द[30]में उसके है मह्वे आराइश[31]
बनेंगे और सितारे अब आसमाँ के लिए

वरक़[32]तमाम हुआ और मदह[33]बाक़ी है
सफ़ीना[34]चाहिए इस बह्रे- बेक़राँ[35]के लिए

अदा-ए-ख़ास[36]से ‘ग़ालिब’ हुआ है नुक़्ता-सरा[37]
सला-ए-आम[38]है याराने-नुक़्ता-दाँ[39]के लिए

 

शब्दार्थ:

1 शान्ति का सुसमाचार
2 मित्र का अत्याचार
3 कष्ट देने का ढंग
4 प्रेमिका की पलकें
5 रक्त-पिपासु
6 रक्तरंजित पलकें
7 संसार से परिचित
8 एक अवतार
9 शाश्वत जीवन
10 ईर्ष्या की मुसीबत में गिरफ़्तार
11 प्राणों का संकट
12 क़ातिल के अत्याचार
13 बन्दी पक्षी
14 पिंजरा
15 उपलब्ध
16 घास
17 आशियाना
18 भिखारी
19 रुचिकर
20 ग़ज़ल के सीमित मैदान में काव्य-साहस
21 विस्तार
22 अभिव्यक्ति
23 दुनिया
24 एक व्यक्ति विशेष का नाम
25 शब्द
26 धर्म और राज्य के सहायक
27 देश एवं जाति के सहायक
28 आकाश
29 दहलीज़
30 अधीनस्थ
31 शृंगाररत
32 पृष्ठ
33 प्रशंसा,दाद
34 नौका
35 परेशान समुंदर
36 विशेष-रूप
37 काव्य(बारीक़ और ख़ूबसूरत बात)कहने वाला
38 सार्वजनिक निमंत्रण
39 गुण-ग्राही मित्रों

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