Hindi Poem of Ashok Chakradhar “Fir Kabhi, “फिर कभी – (सो तो है) ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

फिर कभी – (सो तो है) – अशोक चक्रधर

Fir Kabhi -Ashok Chakradhar

 

एक गुमसुम मैना है
अकेले में गाती है
राग बागेश्री ।

तोता उससे कहे
कुछ सुनाओ तो ज़रा
तो
चोंच चढ़ाकर कहती है
फिर कभी गाऊँगी जी ।

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