टेढा़ सवाल
Tedha sawal
एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल वन-विहार के लिए गए।
एक टेढे़ पेड़ की ओर इशारा करके बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा – यह दरख्त टेढा़ क्यों हैं?
बीरबल ने जवाब दिया- यह इसलिए टेढा़ हैं क्योंकि यह जंगल के तमाम दरख्तों का साला हैं।
बादशाह ने पूछा- तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?
बीरबल ने कहा- दुनिया में यह बात मशहूर हैं कि कुत्ते की दुम और साले हमेशा टेढे़ होते हैं।
बादशाह अकबर ने पूछा- क्या मेरा साला भी टेढा़ है?
बीरबल ने फौरन कहा- बेशक जहांपनाह!
बादशाह अकबर ने कहा फिर मेरे टेढे़ साले को फांसी चढा़ दो!
एक दिन बीरबल ने फांसी लगाने के तीन तख्ते बनवाए- ‘एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का।’
उन्हें देखकर बादशाह अकबर ने पूछा- तीन तख्ते किसलिए?
बीरबल ने कहा- ‘गरीबनवाज, सोने का आपके लिए, चांदी का मेरे लिए और लोहे का तख्ता सरकारी साले साहब के लिए।
बादशाह अकबर ने अचरज से पूछा- मुझे और तुम्हे फांसी किसलिए?
बीरबल ने कहा- क्यों नहीं जहांपनाह, आखिर हम भी तो किसी के साले हैं।
बादशाह अकबर हंस पडे, सरकारी साले साहब के जान में जान आई। वह बाइज्जत बरी हो गया।