अकबर की मृत्यु
Akbar ki Mrityu
सम्राट अकबर अपनी योग्यता, वीरता, बुद्धिमत्ता और शासन−कुशलता के कारण ही एक बड़े साम्राज्य का निर्माण कर सका था। उसका यश, वैभव और प्रताप अनुपम था। इसलिए उसकी गणना भारतवर्ष के महान सम्राटों में की जाती है। उसका अंतिम काल बड़े क्लेश और दु:ख में बीता था। अकबर ने 50 वर्ष तक शासन किया था। उस दीर्घ काल में मानसिंह और रहीम के अतिरिक्त उसके सभी विश्वसनीय सरदार−सामंतों का देहांत हो गया था। अबुल फ़ज़ल, बीरबल, टोडरमल, पृथ्वीराज जैसे प्रिय दरबारी परलोक जा चुके थे। उसके दोनों छोटे पुत्र मुराद और शहज़ादा दानियाल का देहांत हो चुका था। पुत्र सलीम शेष था; किंतु वह अपने पिता के विरुद्ध सदैव षड्यंत्र और विद्रोह करता रहा था। जब तक अकबर जीवित रहा, तब तक सलीम अपने दुष्कृत्यों से उसे दु:खी करता रहा; किंतु वह सदैव अपराधों को क्षमा करते रहे थे। जब अकबर सलीम के विद्रोह से तंग आ गया, तब अपने उत्तरकाल में उसने उस बड़े बेटे शाहज़ादा ख़ुसरो को अपना उत्तराधिकारी बनाने का विचार किया था। किंतु अकबर ने ख़ुसरो को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया, लेकिन उस महत्त्वाकांक्षी युवक के मन में राज्य की जो लालसा जागी, वह उसकी अकाल मृत्यु का कारण बनी। जब अकबर अपनी मृत्यु−शैया पर था, उस समय उसने सलीम के सभी अपराधों को क्षमा कर दिया और अपना ताज एवं खंजर देकर उसे ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। उस समय अकबर की आयु 63 वर्ष और सलीम की 38 वर्ष थी। अकबर का देहावसान अक्टूबर, सन् 1605 में हुआ था। उसे आगरा के पास सिकंदरा में दफ़नाया गया, जहाँ उसका कलापूर्ण मक़बरा बना हुआ है। अकबर के बाद सलीम जहाँगीर के नाम से मुग़ल सम्राट बना।