बहादुर शाह
Bahadur Shah
बहादुर शाह ज़फ़र अकबर द्वितीय और लालबाई के दूसरे पुत्र थे। अपने शासनकाल के अधिकांश समय उनके पास वास्तविक सत्ता नहीं रही और वह अंग्रेज़ों पर आश्रित रहे। 1857 ई. में स्वतंत्रता संग्राम शुरू होने के समय बहादुर शाह 82 वर्ष के बूढे थे, और स्वयं निर्णय लेने की क्षमता को खो चुके थे। विद्रोहियों ने उनको आज़ाद हिन्दुस्तान का बादशाह बनाया। इस कारण अंग्रेज़ उनसे कुपित हो गये और उन्होंने उनसे शत्रुवत् व्यवहार किया। सितम्बर 1857 ई. में अंग्रेज़ों ने दुबारा दिल्ली पर क़ब्ज़ा जमा लिया और बहादुर शाह ज़फ़र को गिरफ़्तार करके उन पर मुक़दमा चलाया गया तथा उन्हें रंगून (वर्तमान यांगून) निर्वासित कर दिया गया।
अन्तिम मुग़ल शासक बहादुरशाह ज़फ़र, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तांत्या टोपे (रामचंन्द्र पांडुरंग), बिहार के बाबू कुँवरसिंह, महाराष्ट्र से नाना साहब, इस प्रथम क्रान्ति के प्रयास के नायक थे, किन्तु प्रयास विफल हो गया। अधिकांश देशी राजाओं ने अपने को क्रांति से अलग रखा। कम्पनी को बलपूर्वक क्रांति को कुचल देने में सफलता मिली, परन्तु क्रांति के बाद ब्रिटिश पार्लियामेंट ने भारत पर कम्पनी का शासन समाप्त कर दिया। भारत का शासन अब सीधे ब्रिटेन के द्वारा किया जाने लगा।