द्वित्य विश्व युद्ध में पासा पलटता है
Dice turns into second world war
मई के शुरू में, जापान ने द्विधा गतिवाले हमले के जरिये पोर्ट मोरेस्बी पर कब्जा करने के लिए आपरेशन शुरू किए और इस प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच संचार की रेखा काट दी. तथापि, मित्र राष्ट्रों ने जापानी नौसैनिक बलों को रोका और वापस भेज दिया, इस प्रकार आक्रमण को रोक दिया गया. जापान की अगली योजना, टोक्यो पर पूर्व की बमबारी द्वारा प्रेरित, मिडवे एटोल को जब्त करने और अमेरिका के वाहकों को फंसा कर नष्ट करने की थी; भटकाने के लिए, जापान ने ऐल्यूशियन द्वीप पर कब्जा करने के लिए भी सेनाओं को भेजा. जापान ने जून की शुरुआत में अपने ओप्रेशंस को क्रियान्वित किया लेकिन अमेरिकी, जापानी नौसेना के कूटों को मई के अंत तक तोड़ चुकने के कारण, पूरी तरह से उनकी योजनाओं और बल व्यवस्थायों से परिचित थे और शाही जापानी नौसेना पर एक निर्णायक जीत पाने के लिए इस ज्ञान को इस्तेमाल किया. मिडवे की लडाई के परिणाम ने आक्रामक कारवाई के लिए उनकी क्षमता को बहुत कम कर दिया, इसलिए जापान ने पापुआ के क्षेत्रमें थलचर अभियान द्वारा पोर्ट मोरेस्बी पर कब्जा करने के लिए एक विलम्बित प्रयास पर ध्यान केंद्रित करने को चुना. अमेरिकियों ने दक्षिण में सोलोमन द्वीपसमूह में जापानी गतिविधियों के ख़िलाफ़, मुख्य रूप से गुआडलकैनाल, रबौल, जो कि दक्षिण पूर्व एशिया में जापान का मुख्य आधार है, पर कब्जे के पहले कदम के रूप में, जवाबी हमले की योजना बनाई. दोनों योजनाएं जुलाई में शुरू हुईं, लेकिन सितम्बर के मध्य तक, गुआडलकैनाल के लिए लड़ाई जापानियों के लिए प्राथमिकता बन गयी, और न्यू गिनी में सैनिकों को आदेश दिया गया की वे मोरेस्बी पोर्ट क्षेत्र से हटकर द्वीप के उत्तरी भाग में चले जाएँ, जहाँ पर उनका सामना ब्यूना-गोना की जंगमें ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की फौजों से हुआ. गुआडलकैनाल जल्द ही संघर्षण की लड़ाई में सैनिकों और जहाजों की भारी प्रतिबद्धताओं के साथ दोनों पक्षों के लिए एक केंद्र बिन्दु बन गया.1943 के प्रारंभ तक, जापानी द्वीप पर हार गए और उन्होंने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया.
बर्मा में, राष्ट्रमंडल बलों ने दो आपरेशन शुरू किये. प्रथम, 1942 के अंत में अराकन क्षेत्र में एक आक्रामक अनर्थकारी हो गया, इसकी वजह से मई 1943 तक वापिस भारत आने के लिए मजबूर होना पड़ा. दूसरा फरवरी में जापानी फ्रंट-लाईनों के पीछे अनियमित बलों की प्रविष्टि थी जिससे अप्रैल के अंत तक संदिग्ध परिणाम हासिल हुए.
जर्मनी के पूर्वी मोर्चेपर, खार्कोव में तथा केर्च प्रायद्वीपमें मित्र राष्ट्रों ने सोवियत आक्रमणकारियों को हराया और फिर जून, 1942 में, काकेशस के तेल क्षेत्रों को जब्त करने के लिए, दक्षिणी रूस जून के विरुद्ध उनके मुख्य ग्रीष्म आक्रमण को शुरू किया.सोवियत संघ ने स्टेलिनग्राद पर, जो बढती जर्मन सेनाओं के रास्ते में था, पर अपना मोर्चा बनाने का निश्चय किया. नवम्बर के मध्य तक जर्मन ने एक छोटी लड़ाई में लगभग स्टेलिनग्राड को हथिया लियाजब सोवियत संघ ने स्टेलिनग्राड में जर्मन बलों की घेराबंदी करनी शुरू करते हुए, अपना दूसरा शीतकालीन जवाबी-हमलाऔर मॉस्को के निकट र्ज्हेव प्रमुख पर हमला शुरू किया , यद्यपि उत्तरार्द्ध को निराशाजनक असफलता मिली. फरवरी के शुरू तक, जर्मन सेना का भरी नुक्सान हुआ था; स्टेलिनग्राद में उनके सैनिकों को आत्म-समर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया गया और गर्मियों के आक्रमण से पहले उनके अग्रिम मोर्चे को उसके स्थान से पीछे धकेल दिया गया. मध्य फरवरी में, सोवियत संघ के दबाव के कम होने के बाद, जर्मनों ने खार्कोव पर एक और हमला किया, रूस के कुर्स्क शहर के आसपास अपने अग्रिम मोर्चे में एक सेलिएंटका निर्माण किया.
पश्चिम में, इस बात की चिंता की जापानी विची अधिकृत मेडागास्कर के अड्डों का उपयोग कर सकते हैं, कारण बनी ब्रिटेन के मई 1942 की शुरुआत में द्वीप पर आक्रमण की. ये सफलता जल्दी ही हवा हो गयी जब धुरी राष्ट्रों ने लीबिया पर आक्रमण किया और मित्र राष्ट्रों को मिस्त्र तक तब तक पीछे धकेलते रहे जबतक धुरीय शक्तियों को एल अलामीन में रोक नहीं दिया गया. महाद्वीप पर, रणनीतिक ठिकानों पर मित्र राष्ट्रों के कमांडो के छपे, जिनका समापन विनाशकारी दीएप छापों. से हुआ, इसने काफी बेहतर तैयारी, उपकरणों और परिचालन सुरक्षा के बिना ही महाद्वीपीय यूरोप पर आक्रमण करने की पश्चिमी सहयोगियों की असमर्थता का प्रदर्शन किया. अगस्त में, मित्र राष्ट्र एल अलामीन के खिलाफ दूसरे हमले को रोकने में सफल रहे और, अधिक कीमत पर, घिरे हुए माल्टा के लिए अति आवश्यक आपूर्ति को पहुँचाने में कामयाब रहे. कुछ महीनों के बाद धुरीय सेनाओं को बाहर करते हुए, और लीबिया के पार पश्चिम में प्रवेश की शुरुआत करते हुए, मित्र राष्ट्रों ने अपने बल पर ही मिस्र पर एक हमले की शुरुआत की. इसके कुछ ही देर बाद फ्रांसीसी उत्तरी अफ्रीका पर आंग्ल-अमेरिकी आक्रमण हुआ, जिसके परिणामस्वरुप ये क्षेत्र मित्र राष्ट्रों के साथ शामिल हो गए. फ्रेंच उपनिवेश के पला बदलने की प्रतिक्रिया में हिटलर ने विची फ्रांस के अधिग्रहण अफ्रीका में दबाव में आई धुरीय सेनाओं को ट्यूनिशिया में भाग जाना पड़ा, जिसे मई 1943 में मित्र राष्ट्रों द्वारा जीत लिया गया.