बनारस की सन्धि द्वितीय
Second Treaty of Benares
बनारस की द्वितीय सन्धि 1775 ई. में की गई थी। यह सन्धि राजा चेतसिंह और ईस्ट इंडिया कम्पनी के बीच में हुई थी।
इस सन्धि के द्वारा चेतसिंह ने, जो कि मूलरूप में अवध के नवाब का सामन्त था, ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रभुत्व स्वीकार कर लिया।
उसने यह प्रभुत्व इस शर्त पर स्वीकार किया कि, वह कम्पनी को साढ़े बाइस लाख रुपये का वार्षिक नज़राना दिया करेगा।
सन्धि में इस बात का भी उल्लेख था कि, ईस्ट इण्डिया कम्पनी उससे अन्य किसी प्रकार की माँग नहीं करेगी।
एक शर्त यह भी थी कि, कम्पनी का कोई भी व्यक्ति राजा के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करेगा, और न ही देश की शांति को भंग करेगा।
इस निश्चित आश्वासन के बावजूद वारेन हेस्टिंग्स ने 1778 – 1780 के वर्षों में और भी अतिरिक्त धन की माँग की।
यह घटना भारतीय इतिहास में ‘चेतसिंह के मामले’ के नाम से जानी जाती है।