यूरोप में युद्ध की शुरुआत
War in Europe
यूरोप में, जर्मनी और इटली अधिक निर्भीक होते जा रहे थे.मार्च 1938 में, जर्मनी ने आस्ट्रिया पर कब्जा कर लिया, एक बार पुनः अन्य यूरोपीय शक्तियों द्वारा नाम मात्र की ही प्रतिक्रिया हुई. प्रोत्साहित होकर, हिटलर ने सुड़ेटेनलैंड, चेकोस्लोवाकियाका एक हिस्सा जहाँ पर मुख्य रूप से जातिगत ज़र्मन आबादी रहती थी, पर ज़र्मन अधिकार के लिए दबाव बढ़ावा शुरू कर दिया; फ्रांस और ब्रिटेन ने उसको ये भूमि, चेकोस्लोवाकिया सरकार की इच्छा के विरुद्ध, इस शर्त पर लेने दी कि आगे उसकी कोई मांग नहीं होगी. हालांकि, उसके बाद जल्दी ही, जर्मनी और इटली ने चेकोस्लोवाकिया को बाध्य कर दिया कि वो हंगरी और पोलैंड को अतिरिक्त भूमि दे. मार्च 1939 में जर्मनी ने चेकोस्लोवाकियाके पिछले हिस्से पर आक्रमण कर दिया और उसे जर्मन संरक्षित बोहेमिया व मोराविया और जर्मन समर्थक स्लोवाक गणराज्य में विभाजित कर दिया.
भयभीत हो कर,और हिटलर द्वारा की गई दान्जिग पर आगे की मांगों के कारण, फ्रांस और ब्रिटेन ने पोलिश की आज़ादी के लिए समर्थन देने का आश्वासन दे दिया; जब अप्रैल, 1939 में इटली ने अल्बानिया पर विजय प्राप्त की, यही आश्वसव रोमानिया और ग्रीस को भी प्रदान कर दिया गया. फ्रेंको-ब्रिटिश द्वारा पोलैंड को दी गई प्रतिज्ञाओं के फौरन बाद, जर्मनी और इटली ने इस्पात की संधि (Pact of Steel) के साथ अपने गठजोड़ को औपचारिक बनाया.
अगस्त 1939 में जर्मनी और सोवियत संघ ने गैर आक्रामकता संधि पर हस्ताक्षर किए. इस संधि में एक गुप्त प्रोटोकोल शामिल था जिसके अनुसार पोलैंड और पूर्वी यूरोप को अलग अलग प्रभाव वाले क्षेत्रों में विभाजित करने कि योजना शामिल थी.
1 सितम्बर, 1939 को, एडॉल्फ हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण किया और द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया. फ्रांस, ब्रिटेन, और राष्ट्रमंडल के देशों ने जर्मनी पर युद्द घोषित कर दिया, लेकिन पोलैंड को कोई सैन्य सहायता प्रदान नहीं की, सारलैंड पे एक छोटे फ्रांसीसी हमले के सिवाय. 17 सितंबर, 1939, को जापान के साथ एक युद्धविराम पर हस्ताक्षर करने के बाद पर, सोवियत संघ ने पोलैंड पर अपने आक्रमण की शुरूआत की. अक्टूबर कि शुरुआत तक, अभियान कि समाप्ति पोलैंड के जर्मनी, सोवियत संघ, लिथुआनिया और स्लोवाकिया के बिच विभाजन के साथ हुई, हालाँकि अधिकारिक तौर पर पोलैंड ने कभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया था.
पोलैंड में लड़ाई के दौरान, जापान ने चांग्शा, एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चीनी शहर, के खिलाफ अपना पहला हमला किया, लेकिन अक्तूबर तक ही उसको पीछे धकेल दिया गया.
पोलैंड के आक्रमण के बाद, सोवियत संघ नेबाल्टिक राज्यों में सैनिकों को आगे बढाना शुरू कर दिया.नवम्बर के अंत में सोवियत संघ द्वारा डाले गए इसी तरह के दबाव के विरुद्ध फिनिशों के प्रतिरोध के कारण शीतकालीन युद्ध आरंभ हुआ, जो की फ़िनिश रियायतों के साथ ही समाप्त हुआ. फ्रांस और ब्रिटेन ने, फिनलैंड पर सोवियत हमले को जर्मनी की ओर के युद्ध में प्रवेश करने के समान मानते हुए, सोवियत आक्रमण का जवाब लीग ऑफ नेशंस से उसके निष्कासन के रूप में दिया. हालाँकि चीन के पास इसको रोकने का अधिकार था, लेकिन ख़ुद को पश्चिमी शक्तियों या सोवियत संघ से विमुख करने के लिए तैयार न होने के कारण उसने स्वयं को विमुख कर लिया. सोवियत यूनियन इससे अप्रसन्न हो गया और परिणाम स्वरुप चीन को सारी सैन्य सहायता को निलंबित कर दिया. जून 1940 तक, सोवियत सशस्त्र बलों के बाल्टिक राज्यों के कब्जे को पूरा कर लिया.
पश्चिमी यूरोप में, ब्रिटिश सैनिकों को महाद्वीप में तैनात किया गया, लेकिन जर्मनी और मित्र राष्ट्रों दोनों में से किसी ने भी एक दूसरे पर सीधे प्रहार नहीं किए.सोवियत संघ और जर्मनी ने फ़रवरी 1940 में एक व्यापर संधि में प्रवेश किया, इसके अनुसार सोवियत को जर्मनी के सैन्य और औद्योगिक उपकरण प्राप्त हुए, इसके बदले में उन्हें ब्रिटिश नाकाबंदी को नाकाम करने के लिए जर्मनी को कच्चे माल की आपूर्ति करनी पड़ी. अप्रैल में, जर्मनी ने स्वीडन से लौह-अयस्क की शिपमेंट, जिसको मित्र राष्ट्र नष्ट करने की कोशिश करते, को सुरक्षित करने के लिए डेनमार्क और नॉर्वे पर आक्रमण किया .डेनमार्क ने तुंरत ही आत्म-समर्पण कर दिया, और मित्र राष्ट्रों के समर्थन के बावजूद, नॉर्वे भी दो महीने के भीतर ही धराशायी हो गया. ब्रिटेन का नार्वेजियन अभियान के प्रति असंतोष विंस्टन चर्चिल के द्वारा 10 मई, 1940 को किए गए प्रधानमंत्री नेविले चेम्बरलिन के प्रतिस्थापन का कारण बना.