Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Vivashta“ , “विवशता” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

विवशता  Vivashta कितना चौड़ा पाट नदी का कितनी भारी शाम कितने खोये खोये से हम कितना तट निष्काम कितनी बहकी बहकी-सी दूरागत वंशी टेर कितनी टूटी-टूटी-सी नभ पर विहंगो …

Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Vyang mat bolo“ , “व्यंग्य मत बोलो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

व्यंग्य मत बोलो Vyang mat bolo   व्यंग्य मत बोलो। काटता है जूता तो क्या हुआ पैर में न सही सिर पर रख डोलो। व्यंग्य मत बोलो। अंधों का …

Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “ Raat me varsha“ , “रात में वर्षा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रात में वर्षा  Raat me varsha मेरी साँसों पर मेघ उतरने लगे हैं, आकाश पलकों पर झुक आया है, क्षितिज मेरी भुजाओं में टकराता है, आज रात वर्षा होगी। …

Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Tumhare liye“ , “तुम्हारे लिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम्हारे लिए  Tumhare liye काँच की बन्द खिड़कियों के पीछे तुम बैठी हो घुटनों में मुँह छिपाए। क्या हुआ यदि हमारे-तुम्हारे बीच एक भी शब्द नहीं। मुझे जो कहना …

Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Ek suni naav“ , “एक सूनी नाव” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक सूनी नाव  Ek suni naav एक सूनी नाव तट पर लौट आई। रोशनी राख-सी जल में घुली, बह गई, बन्द अधरों से कथा सिमटी नदी कह गई, रेत …

Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Jab bhi “ , “जब भी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जब भी Jab bhi   जब भी भूख से लड़ने कोई खड़ा हो जाता है सुन्दर दीखने लगता है। झपटता बाज, फन उठाए सांप, दो पैरों पर खड़ी कांटों …

Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Bhediye ki aankhe surkh he“ , “भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं  Bhediye ki aankhe surkh he भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं। उसे तबतक घूरो जब तक तुम्हारी आंखें सुर्ख न हो जाएं। और तुम कर …

Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Ghant mant dui kodi pava“ , “घन्त मन्त दुई कौड़ी पावा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

घन्त मन्त दुई कौड़ी पावा  Ghant mant dui kodi pava घन्त मन्त दुई कौड़ी पावा कौड़ी लै के दिल्ली आवा, दिल्ली हम का चाकर कीन्ह दिल दिमाग भूसा भर …