Category: Hindi Poems
विवशता Vivashta कितना चौड़ा पाट नदी का कितनी भारी शाम कितने खोये खोये से हम कितना तट निष्काम कितनी बहकी बहकी-सी दूरागत वंशी टेर कितनी टूटी-टूटी-सी नभ पर विहंगो …
व्यंग्य मत बोलो Vyang mat bolo व्यंग्य मत बोलो। काटता है जूता तो क्या हुआ पैर में न सही सिर पर रख डोलो। व्यंग्य मत बोलो। अंधों का …
रात में वर्षा Raat me varsha मेरी साँसों पर मेघ उतरने लगे हैं, आकाश पलकों पर झुक आया है, क्षितिज मेरी भुजाओं में टकराता है, आज रात वर्षा होगी। …
तुम्हारे लिए Tumhare liye काँच की बन्द खिड़कियों के पीछे तुम बैठी हो घुटनों में मुँह छिपाए। क्या हुआ यदि हमारे-तुम्हारे बीच एक भी शब्द नहीं। मुझे जो कहना …
एक सूनी नाव Ek suni naav एक सूनी नाव तट पर लौट आई। रोशनी राख-सी जल में घुली, बह गई, बन्द अधरों से कथा सिमटी नदी कह गई, रेत …
जब भी Jab bhi जब भी भूख से लड़ने कोई खड़ा हो जाता है सुन्दर दीखने लगता है। झपटता बाज, फन उठाए सांप, दो पैरों पर खड़ी कांटों …
भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं Bhediye ki aankhe surkh he भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं। उसे तबतक घूरो जब तक तुम्हारी आंखें सुर्ख न हो जाएं। और तुम कर …
घन्त मन्त दुई कौड़ी पावा Ghant mant dui kodi pava घन्त मन्त दुई कौड़ी पावा कौड़ी लै के दिल्ली आवा, दिल्ली हम का चाकर कीन्ह दिल दिमाग भूसा भर …