Category: Hindi Poems
मुक्ति की आकांक्षा Mukti ki aakanksha चिडि़या को लाख समझाओ कि पिंजड़े के बाहर धरती बहुत बड़ी है, निर्मम है, वहाँ हवा में उन्हेंर अपने जिस्मब की गंध …
जड़ें Jade जड़ें कितनी गहरीं हैं आँकोगी कैसे? फूल से? फल से? छाया से? उसका पता तो इसी से चलेगा आकाश की कितनी ऊँचाई हमने नापी है, धरती पर …
मेघ आए Megh aaye मेघ आए बड़े बन-ठन के, सँवर के । आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के । …
रिश्ते Rishte खुद कपड़े पहने दूसरे को कपड़े पहने देखना खुद कपड़े पहने दूसरे को कपड़े न पहने देखना खुद कपड़े न पहने दूसरे को कपड़े न पहने देखना …
तुमसे अलग होकर Tumse alag hokar तुमसे अलग होकर लगता है अचानक मेरे पंख छोटे हो गए हैं, और मैं नीचे एक सीमाहीन सागर में गिरता जा रहा हूँ। …
तुम्हारे साथ रहकर Tumhare saath rahkar तुम्हारे साथ रहकर अक्सर मुझे ऐसा महसूस हुआ है कि दिशाएँ पास आ गयी हैं, हर रास्ता छोटा हो गया है, दुनिया सिमटकर …
अँधेरे का मुसाफ़िर Andhere ka musafir यह सिमटती साँझ, यह वीरान जंगल का सिरा, यह बिखरती रात, यह चारों तरफ सहमी धरा; उस पहाड़ी पर पहुँचकर रोशनी पथरा गयी, …
अजनबी देश है यह Ajnabi desh he yah अजनबी देश है यह, जी यहाँ घबराता है कोई आता है यहाँ पर न कोई जाता है जागिए तो यहाँ मिलती …