Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Chidiya aur chirote “ , “चिड़िया और चिरौटे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चिड़िया और चिरौटे  Chidiya aur chirote   क्या बदला है गौरैया रूठ गई भाँप रहे बदले मौसम को चिड़िया और चिरौटे झाँक रहे रोशनदानों से कभी गेट पर बैठे …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Shankar“ , “शाहकार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शाहकार  Shankar मुसव्विर मैं तेरा शाहकार वापस करने आया हूं अब इन रंगीन रुख़सारों में थोड़ी ज़िदर्यां भर दे हिजाब आलूद नज़रों में ज़रा बेबाकियां भर दे लबों की …

Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Kya kahe sulekha “ , “क्या कहे सुलेखा !” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

क्या कहे सुलेखा !  Kya kahe sulekha   क्या कहे सुलेखा खनन माफ़िया मिल कर लूटे बाझ, कबूतर पर ज्यों टूटे मेट रहे कुदरत का लेखा छविया भोली धरा-दबोचा …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Nazare kalij“ , “नज़रे-कालिज” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नज़रे-कालिज  Nazare kalij ऐ सरज़मीन-ए-पाक़ के यारां-ए-नेक नाम बा-सद-खलूस शायर-ए-आवारा का सलाम ऐ वादी-ए-जमील मेंरे दिल की धडकनें आदाब कह रही हैं तेरी बारगाह में तू आज भी है …

Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “ Anubhav ke moti “ , “अनुभव के मोती” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अनुभव के मोती Anubhav ke moti   इस धरती के अम्बर में फहराएँ मेघा बन कर जीवन जल दें  सागर-सा लहराएँ टूटे-फूटे बासन घर के अपनी व्यथा सुनाते सभी …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Shikast“ , “शिकस्त” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शिकस्त  Shikast अपने सीने से लगाये हुये उम्मीद की लाश मुद्दतों ज़ीस्त1 को नाशाद2 किया है मैनें तूने तो एक ही सदमे से किया था दो चार दिल को …

Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Men ka tota “ , “मन का तोता” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मन का तोता  Men ka tota   करता रहता नित्य नए संवाद महल-मलीदा, पदवी चाहे लाखों-लाख पगार काम न धेले भर का करता सपने आँख हज़ार इच्छाओं की सूची …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Nakami“ , “नाकामी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नाकामी  Nakami मैने हरचन्द गमे-इश्क को खोना चाहा, गमे-उल्फ़त गमे-दुनिया मे समोना चाहा! वही अफ़साने मेरी सिम्त रवां हैं अब तक, वही शोले मेरे सीने में निहां हैं अब …