Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Udas na ho“ , “उदास न हो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उदास न हो  Udas na ho मेरे नदीम मेरे हमसफ़र उदास न हो कठिन सही तेरी मन्जिल मगर उदास न हो कदम कदम पे चट्टानें खडी़ रहें लेकिन जो …

Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Nav Varsh“ , “नव वर्ष” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नव वर्ष  Nav Varsh   जीवन रथ की लेकर नव भाषाएं आया है नव वर्ष हमारा जागीं सब आशाएं नये रंगों से रंगी ज़िन्दगी रंगोली-सी सोहे सात सुरों से …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Mayus to hu vayade se tere“ , “मायूस तो हूं वायदे से तेरे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मायूस तो हूं वायदे से तेरे  Mayus to hu vayade se tere मायूस तो हूं वायदे से तेरे, कुछ आस नहीं कुछ  आस भी है. मैं अपने ख्यालों के …

Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Vigyapan“ , “विज्ञापन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

विज्ञापन  Vigyapan   लोग यहाँ पर विज्ञापन की गोली एक मिनट में दिख जाती है दुनिया कितनी गोल तय होता है कहाँ -कहाँ कब किसका कितना मोल जाने कितने …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Me jindau hu ye mushthar kijiye“ , “मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए  Me jindau hu ye mushthar kijiye मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए  मिरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए  ज़मीं सख़्त है आसमाँ दूर है  …

Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “ Kab Tak? “ , “कब तक?” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कब तक?  Kab Tak?   कपटी शकुनी से हार वरूँ  मैं कब तक? कहो, तात- विपरीत तटों का सेतु बनूँ मैं कब तक? इनका-उनका बोझा-बस्ता पीठ धरूँ मैं कब …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Tu Hindu banege na Musalman banega“ , “तू हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तू हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा  Tu Hindu banege na Musalman banega तू हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा इन्सान की औलाद है इन्सान बनेग कुदरत ने तो बनाई थी …

Hindi Poem of Ashniv Singh Chaohan “  Dhoop Angne aayi “ , “धूप आँगने आई” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

धूप आँगने आई  Dhoop Angne aayi   मन में जाने कब से चाह रहा था खुलना-खिलना अपने ढब से दी झनकार सुनाई खुलीं खिड़कियाँ दरवाज़े जागे परकोटे चिड़ियाँ छोटीं …