Category: Hindi Poems
फिर महकी अमराई Phir mahki amrai कोयल की ऋतु आई नए-नए बौरों से डाल-डाल पगलाई! एक प्रश्न बार-बार पूछता है मन उघार तुम इतना क्यों फूले? नई-नई गंधों …
गैरों पे करम, अपनों पे सितम Gero pe karm,, apno pe sitam ग़ैरों पे करम अपनों पे सितम, ऐ जान-ए-वफ़ा ये ज़ुल्म न कर रहने दे अभी थोड़ा सा …
तुम न आए Tum na aaye तुम न आए सुरभित सुमन, गूँज भँवरे की मन में कितने फूल बिछाए आम्र लताएँ, पिक की कुँजन मन में मेरे मोर …
मेरे महबूब कहीं और मिला कर मुझ से Mere mahboob kahi aur mila kar mujh se ताज तेरे लिये इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही तुम को इस वादी-ए-रंगीं से अक़ीदत …
चीख़े मन का मोर Chike man ka mor छोड़ साथ यों चला गया किस ओर टप-टप-टप-टप बरसे पानी टूटा सपन सलोना अंदर-अंदर तिरता जाऊँ भींगा कोना-कोना चीख़ रहा …
इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ Ishk ki garmi e jajbat kise pesh kaur इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ ये सुलग़ते हुए दिन-रात किसे पेश करूँ हुस्न और …
एक विचारणीय क्षण Ek vicharniya kshan निर्जन बागीचे के एकांत कोने में विचार करता हुआ कि कितनी बार किया है मैंने प्रयास इन्द्रधनुष को पकड़ने का तब तक …
नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ Nagma or sher ki saugat kise pesh karu नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ ये छलकते हुए जज़बात किसे पेश करूँ शोख़ आँखों …