Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Tere chehre se nazar nahi hatt ti“ , “तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती  Tere chehre se nazar nahi hatt ti तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती नज़ारे हम क्या देखें तुझे मिलके भी प्यास नहीं घटती …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Alas ras“ , “अलस रस” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अलस रस  Alas ras   ऐसे चला गया उत्साह का एक मौसम और हमने आराम की साँस ली की अब थोड़े दिनों तक हमारी सुबह-शामों की ख़बर हम नहीं …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Tumhari chaya me“ , “तुम्हारी छाया में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम्हारी छाया में  Tumhari chaya me   याद भी बनी है जब तक तब तक मैं घुटने में सिर डालकर नहीं बैठूँगा सिकुड़ा–सिकुड़ा भाई मरण तुम आ सकते हो …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “Mere ghar aai ek nanhi pari“ , “मेरे घर आई एक नन्ही परी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरे घर आई एक नन्ही परी Mere ghar aai ek nanhi pari   मेरे घर आई एक नन्ही परी, एक नन्ही परी चाँदनी के हसीन रथ पे सवार मेरे …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Anuttar yog“ , “अनुत्तर योग” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अनुत्तर योग  Anuttar yog   हवा को हमारे शब्द शायद आसमान में हिला जाते हैं मगर हमें उनका उत्तर नहीं मिलता बंद नहीं करते तो भी हम प्रार्थना मंद …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Sneh shapath“ , “स्नेह-शपथ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

स्नेह-शपथ  Sneh shapath   हो परिचित या परिचय विहीन; तुम जिसे समझते रहे बड़ा या जिसे मानते रहे दीन; यदि कभी किसी कारण से उसके यश पर उड़ती दिखे …

Hindi Poem of Sahir Ludhianvi “ Kabhi kabhi mere dil me khyal aata he“ , “कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है  Kabhi kabhi mere dil me khyal aata he कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है के जैसे तुझको बनाया गया …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Sadharan ka anand“ , “साधारण का आनन्द” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

साधारण का आनन्द  Sadharan ka anand   नदी खारी  हो जाती है तबीयत वैसे ही भारी हो जाती है  मेरी सम्पन्नों से मिलकर व्यक्ति से मिलने का अनुभव नहीं …