Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Ashadh ka pahla din“ , “आषाढ़ का पहला दिन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आषाढ़ का पहला दिन  Ashadh ka pahla din   कहीं गरजन का जाकर दूर सिर के पास फिर पड़ना उमड़ती नदी का खेती की छाती तक लहर उठना ध्‍वजा …

Hindi Poem of Rituraj “Jab Hum nahi rahenge“ , “जब हम नहीं रहेंगे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जब हम नहीं रहेंगे  Jab Hum nahi rahenge सड़क का कर्ज था शिरीषों पर निर्जन पगडंडी के बजाए साफ-सुथरा रास्ता सब के लिए और लो, जो तुम बीच में …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Aamin, gulab par esa waqt kabhi na aaye“ , “आमीन , गुलाब पर ऐसा वक्त कभी न आये” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आमीन , गुलाब पर ऐसा वक्त कभी न आये  Aamin, gulab par esa waqt kabhi na aaye   हमारा पढ़ा – लिखा मैंने उसे काफी उलट-पुलट कर देखा है …

Hindi Poem of Rituraj “Kishori Amonkar“ , “किशोरी अमोनकर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

किशोरी अमोनकर  Kishori Amonkar न जाने किस बात पर हँस रहे थे लोग प्रेक्षागृह खचाखच भरा था जनसंख्या-बहुल देश में यह कोई अनहोनी घटना नहीं थी प्रतीक्षा थी विलंबित …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Sukh ka Dukh“ , “सुख का दुख” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुख का दुख  Sukh ka Dukh   इस बात का मुझे बड़ा दु:ख नहीं है, क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ, बड़े सुख आ जाएं घर में तो कोई ऎसा …

Hindi Poem of Rituraj “kabhee itanee dhanavaan mat banana“ , “कभी इतनी धनवान मत बनना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कभी इतनी धनवान मत बनना kabhee itanee dhanavaan mat banana कभी इतनी धनवान मत बनना कि लूट ली जाओ सस्ते स्कर्ट की प्रकट भव्यता के कारण हांग्जो की गुड़िया …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Pani Varsha ri“ , “पानी वर्षा री” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पानी वर्षा री  Pani Varsha ri   पानी बरसा री हरियाली छा गई, हमारे सावन सरसा री बादल छाए आसमान में, धरती फूली री भरी सुहागिन, आज माँग में …

Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Satpuda ke jangal“ , “सतपुड़ा के जंगल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सतपुड़ा के जंगल  Satpuda ke jangal   नींद मे डूबे हुए से ऊँघते अनमने जंगल। झाड ऊँचे और नीचे, चुप खड़े हैं आँख मीचे, घास चुप है, कास चुप …