Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Pratibha Saksena “ Avara shabd”,”आवारा शब्द” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आवारा शब्द  Avara shabd   प्रेम, प्यार, मोहब्बत, (बड़े भड़कीले हो गये हैं) अब मंच पर मचलते, अदायें दिखाते सडकों पर आवारा घूमते, घरों की छतों, छज्जों खिडकियों से …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Kabadkhana”,” कबाड़खाना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कबाड़खाना  Kabadkhana   हर घर में कुछ कुठरियाँ या कोने होते हैं, जहाँ फ़ालतू कबाड़ इकट्ठा रहता है. मेरे मस्तिष्क के कुछ कोनों में भी ऐसा ही अँगड़-खंगड़ भरा …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Prashan”,” प्रश्न” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रश्न  Prashan   जब अपने से छोटे, और उनसे भी छोटे रुख़सत हो, निकलते चले जाते हैं सामने से एक-एक कर, अपना जीवन अपराध लगता है जब वंचित रह …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “ Katha ek”,” कथा एक” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कथा एक Katha ek   इन भीड़ भरी राहों की गहमा-गहमी में, हर ओर पथिक मिल जाते हैं आगे-पीछे, दो कदम साथ कोई-कोई चल पाता पर, हँस-बोल सभी जा …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Putri se”,” पुत्री से” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पुत्री से  Putri se   कुमकुम रंजित करतल की छाप अभी भी, इन दीवारों से झाँक रही है घर में, पुत्री तो बिदा हो गई लेकिन उसकी, माया तो …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  California ka raj pushp”,”केलिफ़ोर्निया का राज-पुष्प” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

केलिफ़ोर्निया का राज-पुष्प  California ka raj pushp   वन-घासों के बीच झिलमिलाते इतने दीप! इस निर्जन वन-खंडिका में संध्याकाश के नीचे कौन धर गया? क्रीक के दोनों ओर, ढालों …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Nirjano me”,” निर्जनों में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

निर्जनों में  Nirjano me   आज माँझी ले चलो उन निर्जनों में, किसी पग की चाप से आगे वनों में ले चलो उस तट बिना पहचानवाले, जहां कोई आ …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Chareveti”,” चरैवेति” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चरैवेति  Chareveti   यह संस्कृति का वट-वृक्ष, पुरातन-चिरनूतन, कह ‘चरैवेति’ जो सतत खोजता नए सत्य, जड़ का विस्तार सुदूर माटियों को जोड़े निर्मल, एकात्म चेतना का जीवन्त उत्स. आधार …