Category: Hindi Poems
सरकार कहते हैं Sarkar kahte hai बुढ़ापे में जो हो जाए उसे हम प्यार कहते हैं, जवानी की मुहब्बत को फ़कत व्यापार कहते हैं। जो सस्ती है, मिले हर …
परम्परा का अनुकरण Parampara ka anukaran परम्परा का अनुकरण या अनुकरण की परम्परा। भीड़ चारों ओर चिल्ल-पों और शोर। भीड़, भीड़ों से घिरी, भीड़, भीड़ों में गुथी, भीड़ …
जहाँ जाकर खत्म होती हैं दिशायें Jaha jakar khatam hoti hai dishaye जहाँ जाकर खत्म होती हैं दिशायें, क्या वहाँ दीवार होगी? क्या नहीं दीवार के उस पार …
फर्क़ आदमी और जानवर में Farak aadmi aur janvar me आदमी और रीछ में क्या अंतर है? आदमी की हज़ामत बनती है, रीछ की नहीं। आदमी और हाथी में …
चक्की Chakki चक्की, टनों गेहूँ चबानें के बाद भी, मोटी नहीं होती, बल्कि, घिस जाते हैं दाँत ही उसके। मोटा होता है, उसके पीसे पर जलन काटनें वाला …
व्यंग्य कोई कांटा नहीं Vyan koi kanta nahi व्यंग्य कोई कांटा नहीं- फूल के चुभो दूं , कलम कोई नश्तर नहीं- खून में डूबो दूं दिल कोई कागज नहीं- …
दीपावली Dipavali जागी श्याम-विभावरी शुभकरी, दीपांकिता वस्त्रिता कल्माशांतक ज्योति शुभ्र बिखरी, आलोकिता है निशा ज्योतिष्मान स्वयं प्रतीचिपट से, सन्देश देता गया दीपों की अवली प्रदीप्त कर दे, संपूर्ण …
प्रेम-युद्ध Prem Yudh अपनी चरम अवस्था में युद्ध ही होता है प्रेम एक ऐसी जंग जिसमे स्त्री जीत कर भी पराजय के गहरे अहसास में डूब जाती है और …