Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Satya ki shok sabha “ , “सत्य की शोक-सभा ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सत्य की शोक-सभा Satya ki shok sabha   अच्छा हुआ तुम नहीं आये शोक सभा थी तुम्हारी ही मृत्यु की याद किया सभी ने तुम्हें गुण गाये गये तुम्हारे …

Hindi Poem of Madan Kashyap “Mafirnama“ , “माफ़ीनामा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

माफ़ीनामा Mafirnama मेरी धमनियों में उन राजन्यों का रक्त है जो कभी छत्री रहे तो कभी बाम्हन जिन्होंने बनाया था दुनिया का पहला ‘गणतंत्र’ मगर तुम्हें नहीं दिया था …

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Vastvikta“ , “वास्तविकता” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वास्तविकता Vastvikta   ड्राइंग रूम में अपना एक चित्र लगाया है जो मुझे आकर्षक दिखाता है पर मेरे जैसा नहीं दिखता एक तख्ती दरवाजे पर उपाधियां दर्शाती है, मेरी …

Hindi Poem of Madan Kashyap “Uddharak“ , “उद्धारक” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उद्धारक Uddharak हम तुम्हारा उद्धार करेंगे ज़िन्दा रखा तो जूठन खिला कर पाँव धुलवा कर तुम्हारा उद्धार करेंगे मार दिया तो बैंकुण्ठ भिजवा कर तुम्हारे वंशजों को अपना भक्त …

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Mene dekha“ , “मैने देखा ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैने देखा Mene dekha   मैनें देखा, मैनें देखा जीर्ण श्वान-तनया के तन से लिपट रहे कुछ मोटे झबरीले पिल्लों को रक्त चूसते से थे जैसे शुष्क वक्ष से …

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Prasad“ , “प्रसाद ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रसाद Prasad   जलती हैं हमारी हड्डियाँ समिधा बन कर हमारा ही श्रम बनता है हविष्य और प्रज्ज्वलित करते हैं उसे हमारे ही श्रम-बिन्दु घृत बन कर पड़ता है, …

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Is baar aaoge to paoge“ , “इस बार आओगे तो पाओगे ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

इस बार आओगे तो पाओगे Is baar aaoge to paoge   इस बार आओगे तो पाओगे… नये फ्रेम में लगा दी है मैनें अपनी और तुम्हारी तस्वीर, निहारती हूँ …

Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Aaj bhi vahi khada adipt“ , “आज भी वहीं खड़ा उद्दीप्त ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आज भी वहीं खड़ा उद्दीप्त Aaj bhi vahi khada adipt   आज भी वहीं खड़ा उद्दीप्त विश्वधारा में मैं निरुपाय खोजता हूँ बस एक आलम्ब यजन करने का तुच्छ …