Category: Hindi Poems
कबित्त (कवित्त) Kavita (एक) जले तो जलाओ गोरी,पीत का अलाव गोरी अभी न बुझाओ गोरी, अभी से बुझाओ ना । पीत में बिजोग भी है, कामना का सोग भी …
रति-विलाप Riti vilap होगए उन्मन अचानक शंभु हुई समाधि खंडित. कुछ नए आभास अंतर्मुखी मन का चेत जागा. खुल गये अरुणाभ लोचन देखते अति चकित-विस्मित अपरिचित दृष्यावली अंकित, …
उस शाम वो रुख़सत का समा Us sham vo rukhsat ka sama उस शाम वो रुख़सत का समाँ याद रहेगा वो शहर, वो कूचा, वो मकाँ याद रहेगा वो …
कमर बांधे हुए चलने पे यां सब यार बैठे हैं Kamar bandhe hue chalne pe ya sab yaar bethe he कमर बांधे हुए चलने पे यां सब यार बैठे …
शिव-विरह Shiv Virah उमँगता उर पितृ-गृह के नाम से ही! तन पुलकता, मन उमड़ आता! जन्म का नाता! सती, आई हुलसती, तन पहुँचता बाद में उस परम प्रिय …
इंशाजी उठो अब कूच करो Insha ji utho ab kuch karo इंशाजी उठो अब कूच करो, इस शहर में जी का लगाना क्या वहशी को सुकूं से क्या मतलब, …
फ़र्ज़ करो Farz karo फ़र्ज़ करो हम अहले वफ़ा हों, फ़र्ज़ करो दीवाने हों फ़र्ज़ करो ये दोनों बातें झूठी हों अफ़साने हों फ़र्ज़ करो ये जी की बिपता, …
बार-बार आऊँगा Bar Bar Aaunga वाचक – आह, रक्त की प्यास न जाने, जाग जाग उठती क्यों, जाने क्यों, शैतान उतर कर बार- बार आता है. फिर प्राणों …