Category: Hindi Poems
विमानपत्तनम् Vimanpattnam मेरी इन कोल्हापुरी चप्पलों का अकडा हुआ कीचड एयरपोर्ट के इस महाचकाचक फर्श पर वैसे ही टिमक रहा है जैसे पग्गड किसान का दकमता है कृषि-भवन …
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा Bhramar koi kumudani par machal betha to hangama भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा हमारे दिल में कोई ख्वाब …
मरने की फुर्सत Marne ki fursat (एक रेड इण्डियन लोकगीत के आधार पर पल्लवित) ईसा मसीह औरत नहीं थे वरना मासिक धर्म ग्यारह बरस की उमर से उनको …
कोई दीवाना कहता है Koi divana kahta hai कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ! मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !! मैं तुझसे …
दायम तेरे दर पे Dayam tere dar pe सभागार की ये पुरानी दरी गालिब के किसी शेर के साथ बुनी गई होगी कम से कम दो शताब्दी पहले। …
अनसुने अध्यक्ष हम Ansune Adhyaksh hum बाँह फैलाए खड़े, निरुपाय, तट के वृक्ष हम ओ नदी! दो चार पल, ठहरो हमारे पास भी । चाँद को छाती लगा फिर …
कूड़ा बीनते बच्चे Kuda binte bacche उन्हें हमेशा जल्दी रहती है उनके पेट में चूहे कूदते हैं और खून में दौड़ती है गिलहरी! बड़े-बड़े डग भरते चलते हैं …
एक औरत का पहला राजकीय प्रवास Ek Aurat ka pahla Rajkiya pravas वह होटल के कमरे में दाख़िल हुई अपने अकेलेपन से उसने बड़ी गर्मजोशी से हाथ मिलाया। …