Category: Hindi Poems
गीत कवि की व्यथा 1 Geet kavi ki vyatha 1 ओ लेखनी विश्राम कर अब और यात्रायें नहीं मंगल कलश पर काव्य के अब शब्द के स्वस्तिक न रच …
रिश्ता Rishta वह बिलकुल अनजान थी! मेरा उससे रिश्ता बस इतना था कि हम एक पंसारी के ग्राहक थे नए मुहल्ले में। वह मेरे पहले से बैठी थी …
तुम निश्चिन्त रहना Tum nishchint rahna कर दिए लो आज गंगा में प्रवाहित सब तुम्हारे पत्र, सारे चित्र, तुम निश्चिन्त रहना धुंध डूबी घाटियों के इंद्रधनु तुम छू गए …
अयाचित Ayachit मेरे भंडार में एक बोरा ‘अगला जनम’ ‘पिछला जनम’ सात कार्टन रख गई थी मेरी माँ। चूहे बहुत चटोरे थे घुनों को पता ही नहीं था …
नींद सुख की फिर हमें सोने न देगा Nind such ki fir hame sore na dega नींद सुख की फिर हमें सोने न देगा यह तुम्हारे नैन में तिरता …
चौका Choka मैं रोटी बेलती हूँ जैसे पृथ्वी ज्वालामुखी बेलते हैं पहाड़ भूचाल बेलते हैं घर सन्नाटे शब्द बेलते हैं, भाटे समुंदर। रोज़ सुबह सूरज में एक नया …
नदिया के किनारे Nadiya ke kinare कर दिए लो आज गंगा में प्रवाहित सब तुम्हारे पत्र, सारे चित्र, तुम निश्चिन्त रहना धुंध डूबी घाटियों के इंद्रधनुष छू गए नत …
पहली पेंशन Pahli penshan श्रीमती कार्लेकर अपनी पहली पेंशन लेकर जब घर लौटीं सारी निलम्बित इच्छाएँ अपना दावा पेश करने लगीं। जहाँ जो भी टोकरी उठाई उसके नीचे …