Category: Hindi Poems
गीत कवि की व्यथा 2 Geet kavi ki vyatha 2 इस गीत कवि को क्या हुआ अब गुनगुनाता तक नहीं इसने रचे जो गीत जग ने पत्रिकाओं में पढे़ …
जुएँ Juye किसी सोचते हुए आदमी की आँखों-सा नम और सुंदर था दिन। पंडुक बहुत ख़ुश थे उनके पंखों के रोएँ उतरते हुए जाड़े की हल्की-सी सिहरन में …
कसमसाई देह फिर चढ़ती नदी की Kasmasai deh fir chadhti nadi ki कसमसाई देह फिर चढ़ती नदी की देखिए तटबंध कितने दिन चले मोह में अपनी मंगेतर के समंदर …
मौसियाँ Mosiya वे बारिश में धूप की तरह आती हैं थोड़े समय के लिए और अचानक हाथ के बुने स्वेटर, इंद्रधनुष, तिल के लड्डू और सधोर की साड़ी …
दरवाज़ा Darvaja मैं एक दरवाज़ा थी मुझे जितना पीटा गया मैं उतना ही खुलती गई। अंदर आए आने वाले तो देखा– चल रहा है एक वृहत्चक्र चक्की रुकती …
ताल सा हिलता रहा मन Tal sa hilta raha man धर गये मेंहदी रचे दो हाथ जल में दीप जन्म जन्मों ताल सा हिलता रहा मन बांचते हम रह …
स्त्रियाँ Striya पढ़ा गया हमको जैसे पढ़ा जाता है काग़ज बच्चों की फटी कॉपियों का ‘चनाजोरगरम’ के लिफ़ाफ़े के बनने से पहले! देखा गया हमको जैसे कि कुफ्त …
विदेह Videh आज जब घर पहुंचा शाम को तो बडी अजीब घटना हुई मेरी ओर किसी ने भी कोई ध्यान ही न दिया। चाय को न पूछा आके पत्नी …