Category: Hindi Poems
फाँस जो छूती रगों को Phans jo chute rogo ko फाँस जो छूती रगों को देखने में कुछ नहीं है रह न पाया एक साँचे से मिला आकार मेरा …
हम अपने हक़ से जियादा नज़र नहीं रखते Hum apne haq se jiyada nazar nahi rakhte हम अपने हक़ से जियादा नज़र नहीं रखते चिराग़ रखते हैं, शम्सो-क़मर …
मंज़िल-दर-मंज़िल Manjil dar manjil मंज़िल-दर-मंज़िल पुण्य फलीभूत हुआ कल्प है नया सोने की जीभ मिली स्वाद तो गया। छाया के आदी हैं गमलों के पौधे जीवन के मंत्र हुए …
फ़िक्र आदत में ढल गई होगी Fikra aadat me dhal gai hogi फ़िक्र आदत में ढल गई होगी अब तबीयत सम्हल गई होगी गो हवादिस नहीं रुके होंगे …
सम्बन्धों के ठंडे घर में Sambandho ke thande ghar me सम्बन्धों के ठंडे घर में वैसे तो सबकुछ है लेकिन इतने नीचे तापमान पर रक्तचाप बेहद खलता है| दिनचर्या …
अच्छाई से डर लगता है Acchai se dar lagta hai सबको तुम अच्छा कहते हो, कानो को प्रियकर लगता है अच्छे हो तुम किन्तु तुम्हारी अच्छाई से डर …
संहिता के व्यूह में Sanhita ke vyuh me जहां आंखों में रहा, आकाश का विस्तार मेरा वहीं मेरे पांव छूकर रोकता आधार मेरा फूल की कोमल पंखुरियों में बसी …
शहर मुझको तेरे सारे मुहल्ले याद आते हैं Shahar mujhko tere sare muhalle yaad aate hai शहर मुझको तेरे सारे मुहल्ले याद आ्ते हैं दुकाँ पर चाय की …