Category: Hindi Poems
कहता है पका हुआ फल Kahta he paka hua phal कहता है पका हुआ फल देह नहीं है मेरी सीमा मुझसे है आगामी कल । चुभो रहे हैं जैसे …
सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे Sahal is tarha zindagi kar de सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे मुझपे एहसाने-बेख़ुदी कर दे आरज़ू ये नहीं कि यूँ होता …
प्यादे से वज़ीर Pyade se vazir प्यादे से वज़ीर बनते हैं ऐसी बिछी बिसात नए भोर का भ्रम देती है निखर गई है रात कई एक चेहरे, चेहरों के …
अज़नबी अबके आश्ना सा था Ajnabi abke asana sa tha मैं बहरहाल बुत बना सा था वो भी मग़रूर और तना सा था कुछ शरायत दरख़्त ने रख …
पीहर का बिरवा Pihar ka birva पीहर का बिरवा छतनार क्या हुआ, सोच रही लौटी ससुराल से बुआ। भाई-भाई फरीक पैरवी भतीजों की, मिलते हैं आस्तीन मोड़कर क़मीज़ों की …
अब ’अमित’ अन्जुमन से जाते हैं Ab Amit anjuman se jate hai बाइसे-शौक आजमाते हैं कितने मज़बूत अपने नाते हैं रोज़ कश्ती सवाँरता हूँ मैं कुछ नये छेद …
पुण्य फलीभूत हुआ Punya falibhut hua पुण्य फलीभूत हुआ कल्प है नया सोने की जीभ मिली स्वाद तो गया छाया के आदी हैं गमलों के पौधे जीवन के मंत्र …
कुछ भूलें ऐसी हैं जिनकी याद सुहानी लगती है Kuch bhule esi hai jinki yaad suhani lagti hai कुछ भूलें ऐसी हैं, जिनकी याद सुहानी लगती है। कुछ …