Category: Hindi Poems
अपाहिज व्यथा Apahij vyatha अपाहिज व्यथा को सहन कर रहा हूँ, तुम्हारी कहन थी, कहन कर रहा हूँ । ये दरवाज़ा खोलो तो खुलता नहीं है, इसे …
मेघयात्री Meghyatri रुखी यात्राओं पर निकल रहे हम स्वयं- पुरवाई हमें मत ढकेलो, हम प्यासे बादल हैं, इसी व्योम-मंडप के दे दो ठंडी झकोर और दाह ले लो। क्या …
अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार Ab kisi ko bhi nazar aati nahi koi darar अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार घर …
रह गया सब कुछ Rah Gya sab kuch रह गया सब कुछ बिखर कर इन दिनों है दुख शिखर पर एक पल में हो गया सब कुछ अधूरा कुछ …
कुण्ठा Kuntha मेरी कुंठा रेशम के कीड़ों-सी ताने-बाने बुनती, तड़प तड़पकर बाहर आने को सिर धुनती, स्वर से शब्दों से भावों से औ’ वीणा से कहती-सुनती, गर्भवती है …
बह नहीं जाना लहर में Bah nahi jana lahar me यह मधुर मधुवंत बेला मन नहीं है अब अकेला स्वप्न का संगीत कंगन की तरह खनका सांझ रंगारंग है …
शब्दों से परे Shabdo se pare शब्दों से परे-परे मन के घन भरे-भरे वर्षा की भूमिका कब से तैयार है हर मौसम बूंद का संचित विस्तार है उत्सुक ॠतुराजों …
तुमको निहरता हूँ सुबह से ऋतम्बरा Tumko niharta hu subha se ritambhara तुमको निहारता हूँ सुबह से ऋतम्बरा अब शाम हो रही है मगर मन नहीं भरा ख़रगोश …