Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Prarthna ; Guru Kabirdas ke liye“ , “प्रार्थना : गुरु कबीरदास के लिए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रार्थना : गुरु कबीरदास के लिए Prarthna ; Guru Kabirdas ke liye परम गुरु दो तो ऐसी विनम्रता दो कि अंतहीन सहानुभूति की वाणी बोल सकूँ और यह अंतहीन …

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Koyal aur bacha“ , “कोयल और बच्चा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कोयल और बच्चा Koyal aur bacha सन्तो ऎसा मैंने एक अजूबा देखा आज कहीं कोयल बोली मौसम में पहली बार और उसके साथ ही, पिछवाड़े, किसी बच्चे ने उसकी …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Abhar“ , “आभार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आभार  Abhar   जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला उस उस राही को धन्यवाद। जीवन अस्थिर अनजाने ही हो जाता पथ पर मेल कहीं सीमित पग-डग, लम्बी मंज़िल तय …

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Akele pedo ka toofan“ , “अकेले पेड़ों का तूफ़ान” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अकेले पेड़ों का तूफ़ान Akele pedo ka toofan फिर तेजी से तूफ़ान का झोंका आया और सड़क के किनारे खड़े सिर्फ एक पेड़ को हिला गया शेष पेड़ गुमसुम …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Me badha hi ja raha hu“ , “मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ  Me badha hi ja raha hu   चल रहा हूँ, क्योंकि चलने से थकावट दूर होती, जल रहा हूँ क्योंकि जलने से तमिस्त्रा …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Vivashta“ , “विवशता” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

विवशता  Vivashta   मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार पथ ही मुड़ गया था। गति मिली, मैं चल पड़ा, पथ पर कहीं रुकना मना था राह अनदेखी, अजाना देश संगी …

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Bahas ke baad“ , “बहस के बाद” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहस के बाद Bahas ke baad असली सवाल है कि मुख्यमन्त्री कौन होगा? नहीं नहीं, असली सवाल है कि ठाकुरों को इस बार कितने टिकट मिले? नहीं नहीं, असली …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Suni Sanjh“ , “सूनी साँझ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सूनी साँझ  Suni Sanjh   साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम। पेड खडे फैलाए बाँहें लौट रहे घर को चरवाहे यह गोधुली, साथ नहीं हो तुम, बहुत दिनों में …