Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Diware“ , “दीवारें” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दीवारें Diware जिस दिन हमने तोडी थीं पहली दीवारें, (तुम्हें याद है?) छाती में उत्साह कंठ में जयध्वनियां थीं। उछल-उछल कर गले मिले थे, फिरे बांटते बडी रात तक …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Patvar“ , “पतवार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पतवार  Patvar   आज सिन्धु ने विष उगला है लहरों का यौवन मचला है आज ह्रदय में और सिन्धु में साथ उठा है ज्वार तूफानों की ओर घुमा दो …

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Suraj“ , “सूरज” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सूरज Suraj साधो तुमको विश्वास नहीं होगा रोज़ सवेरे अभी भी सूरज निकलता है गोल-गोल, लाल-लाल उसकी बड़ी-बड़ी आँखें हैं फूले-फूले गाल और भोला-सा मुँह मेरे जी में आता …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Asamanjas“ , “असमंजस” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

असमंजस  Asamanjas   पथ निर्जन है, एकाकी है, उर में मिटने का आयोजन सामने प्रलय की झाँकी है वाणी में है विषाद के कण प्राणों में कुछ कौतूहल है …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Me nahi aaya tumhare dwar“ , “मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार  Me nahi aaya tumhare dwar   पथ ही मुड़ गया था। गति मिली मैं चल पड़ा पथ पर कहीं रुकना मना था, राह अनदेखी, …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Sanso ka hisab“ , “सांसों का हिसाब” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सांसों का हिसाब  Sanso ka hisab   तुम जो जीवित कहलाने के हो आदी तुम जिसको दफ़ना नहीं सकी बरबादी तुम जिनकी धड़कन में गति का वन्दन है तुम …

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Chamatkar ki pratiksha“ , “चमत्कार की प्रतीक्षा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चमत्कार की प्रतीक्षा Chamatkar ki pratiksha क्या अब भी कोई चमत्कार घटित होगा? जैसे कि ऊपर से गुजरती हुई हवा तुम्हारे सामने साकार खड़ी हो जाए और तुम्हारा हाथ …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Par aankhen nahi bhari“ , “पर आँखें नहीं भरीं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पर आँखें नहीं भरीं  Par aankhen nahi bhari   पर आँखें नहीं भरीं।  सीमित उर में चिर-असीम सौंदर्य समा न सका बीन-मुग्ध बेसुध-कुरंग मन रोके नहीं रुका यों तो …