Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Ayachit jhonka“ , “अयाचित झोंका” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अयाचित झोंका Ayachit jhonka हो गया कम्पित शरद के शान्त, झीने ताल-सा तन आह, करुणा का अयाचित एक झोंका सान्त्वना की तरह मन की सतह पर लहरा गया कहाँ …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Mrittika deep“ , “मृत्तिका दीप” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मृत्तिका दीप  Mrittika deep   एक भी कण स्नेह का जब तक रहेगा शेष। हाय जी भर देख लेने दो मुझे मत आँख मीचो और उकसाते रहो बाती न …

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Is nagari me raat hui“ , “इस नगरी में रात हुई” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

इस नगरी में रात हुई Is nagari me raat hui मन में पैठा चोर अँधेरी तारों की बारात हुई बिना घुटन के बोल न निकले यह भी कोई बात …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Jal rahe hai deep, jalti hai javani“ , “जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी  Jal rahe hai deep, jalti hai javani   वर्तिकाएँ बट बिसुध बाले गए हैं वे नहीं जो आँचलों में छिप सिसकते प्रलय …

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Ban jata diptivan“ , “बन जाता दीप्तिवान” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बन जाता दीप्तिवान Ban jata diptivan सूरज सवेरे से जैसे उगा ही नहीं बीत गया सारा दिन बैठे हुए यहीं कहीं टिपिर टिपिर टिप टिप आसमान चूता रहा बादल …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Baat ki baat“ , “बात की बात” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बात की बात  Baat ki baat   जब हम अपने से ही अपनी बीती कहने लग जाते हैं। तन खोया-खोया-सा लगता मन उर्वर-सा हो जाता है कुछ खोया-सा मिल …

Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Sunsan shahar“ , “सुनसान शहर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुनसान शहर Sunsan shahar वहाँ भी जहाँ शीशे की तरह सन्नाटा चटकता है और आसमान से मरी हुई बत्तखें गिरती हैं । Related posts: Hindi Poem of Vijaydev Narayan …

Hindi Poem of Shiv Mangal Singh Suman “  Par aankh nahi bhari“ , “पर आंखें नहीं भरीं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पर आंखें नहीं भरीं  Par aankh nahi bhari   सीमित उर में चिर असीम सौन्दर्य समा न सका बीन मुग्ध बेसुथ कुरंग मन रोके नहीं रूका यों तो कई …