Category: Hindi Poems
अयाचित झोंका Ayachit jhonka हो गया कम्पित शरद के शान्त, झीने ताल-सा तन आह, करुणा का अयाचित एक झोंका सान्त्वना की तरह मन की सतह पर लहरा गया कहाँ …
मृत्तिका दीप Mrittika deep एक भी कण स्नेह का जब तक रहेगा शेष। हाय जी भर देख लेने दो मुझे मत आँख मीचो और उकसाते रहो बाती न …
इस नगरी में रात हुई Is nagari me raat hui मन में पैठा चोर अँधेरी तारों की बारात हुई बिना घुटन के बोल न निकले यह भी कोई बात …
जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी Jal rahe hai deep, jalti hai javani वर्तिकाएँ बट बिसुध बाले गए हैं वे नहीं जो आँचलों में छिप सिसकते प्रलय …
बन जाता दीप्तिवान Ban jata diptivan सूरज सवेरे से जैसे उगा ही नहीं बीत गया सारा दिन बैठे हुए यहीं कहीं टिपिर टिपिर टिप टिप आसमान चूता रहा बादल …
बात की बात Baat ki baat जब हम अपने से ही अपनी बीती कहने लग जाते हैं। तन खोया-खोया-सा लगता मन उर्वर-सा हो जाता है कुछ खोया-सा मिल …
सुनसान शहर Sunsan shahar वहाँ भी जहाँ शीशे की तरह सन्नाटा चटकता है और आसमान से मरी हुई बत्तखें गिरती हैं । Related posts: Hindi Poem of Vijaydev Narayan …
पर आंखें नहीं भरीं Par aankh nahi bhari सीमित उर में चिर असीम सौन्दर्य समा न सका बीन मुग्ध बेसुथ कुरंग मन रोके नहीं रूका यों तो कई …