Category: Hindi Poems
स्मृतिकण Sritikan क्या जाग रही होगी तुम भी? निष्ठुर-सी आधी रात प्रिये! अपना यह व्यापक अंधकार, मेरे सूने-से मानस में, बरबस भर देतीं बार-बार; मेरी पीडाएँ एक-एक, हैं …
जिंदगी फूस की झोपड़ी Jindagi phoos ki jhopadi रेत की नींव पर जो खड़ी है। पल दो पल है जगत का तमाशा, जैसे आकाश में फुलझ़ड़ी है। कोई तो …
तुम मृगनयनी Tum Mrignaynai तुम मृगनयनी, तुम पिकबयनी तुम छवि की परिणीता-सी, अपनी बेसुध मादकता में भूली-सी, भयभीता सी । तुम उल्लास भरी आई हो तुम आईं …
आदमी खोखले हैं Aadmi kokhle hai शहर लगते हैं मुझे आज भी जंगल की तरह। हमने सपने थे बुने इंद्रधनुष के जितने, चीथड़े हो गए सब विधवा के आँचल …
मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ Me kab se dhundh raha hu मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ अपने प्रकाश की रेखा तम के तट पर अंकित है …
आज मानव का Aaj manav ka आज मानव का सुनहला प्रात है, आज विस्मृत का मृदुल आघात है; आज अलसित और मादकता-भरे, सुखद सपनों से शिथिल यह गात …
तुम अपनी हो, जग अपना है Tum apno ho jag apna hai तुम अपनी हो, जग अपना है किसका किस पर अधिकार प्रिये फिर दुविधा का क्या काम …
मैं तुझसे प्रीत लगा बैठा Me tujhse preet laga betha तू चाहे चंचलता कह ले, तू चाहे दुर्बलता कह ले, दिल ने ज्यों ही मजबूर किया, मैं तुझसे प्रीत …