Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “  Sritikan“ , “स्मृतिकण” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

स्मृतिकण  Sritikan   क्या जाग रही होगी तुम भी? निष्ठुर-सी आधी रात प्रिये! अपना यह व्यापक अंधकार, मेरे सूने-से मानस में, बरबस भर देतीं बार-बार; मेरी पीडाएँ एक-एक, हैं …

Hindi Poem of Udaybhanu Hans “Jindagi phoos ki jhopadi“ , “जिंदगी फूस की झोपड़ी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जिंदगी फूस की झोपड़ी Jindagi phoos ki jhopadi रेत की नींव पर जो खड़ी है। पल दो पल है जगत का तमाशा, जैसे आकाश में फुलझ़ड़ी है। कोई तो …

Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “ Tum Mrignaynai “ , “तुम मृगनयनी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम मृगनयनी Tum Mrignaynai     तुम मृगनयनी, तुम पिकबयनी तुम छवि की परिणीता-सी, अपनी बेसुध मादकता में भूली-सी, भयभीता सी । तुम उल्लास भरी आई हो तुम आईं …

Hindi Poem of Udaybhanu Hans “Aadmi kokhle hai“ , “आदमी खोखले हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आदमी खोखले हैं Aadmi kokhle hai शहर लगते हैं मुझे आज भी जंगल की तरह। हमने सपने थे बुने इंद्रधनुष के जितने, चीथड़े हो गए सब विधवा के आँचल …

Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “  Me kab se dhundh raha hu“ , “मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ  Me kab se dhundh raha hu   मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ अपने प्रकाश की रेखा तम के तट पर अंकित है …

Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “  Aaj manav ka“ , “आज मानव का” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आज मानव का  Aaj manav ka   आज मानव का सुनहला प्रात है, आज विस्मृत का मृदुल आघात है; आज अलसित और मादकता-भरे, सुखद सपनों से शिथिल यह गात …

Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “  Tum apno ho jag apna hai“ , “तुम अपनी हो, जग अपना है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम अपनी हो, जग अपना है  Tum apno ho jag apna hai   तुम अपनी हो, जग अपना है किसका किस पर अधिकार प्रिये फिर दुविधा का क्या काम …

Hindi Poem of Udaybhanu Hans “Me tujhse preet laga betha“ , “मैं तुझसे प्रीत लगा बैठा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं तुझसे प्रीत लगा बैठा Me tujhse preet laga betha तू चाहे चंचलता कह ले, तू चाहे दुर्बलता कह ले, दिल ने ज्यों ही मजबूर किया, मैं तुझसे प्रीत …