Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Uday bhan mishra “Aajkal“ , “आजकल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आजकल Aajkal आजकल मैं एक ऐसे जंगल से गुजर रहां हूँ जिसमें एक दरख्त की जड़ें दूसरे दरख्त की जड़ें हैं एक की पत्तियां दूसरे की पत्तियां हैं एक …

Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “ Aaj manav ka sunhala prat hai“ , “आज मानव का सुनहला प्रात है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आज मानव का सुनहला प्रात है Aaj manav ka sunhala prat hai   आज मानव का सुनहला प्रात है, आज विस्मृत का मृदुल आघात है; आज अलसित और मादकता-भरे, …

Hindi Poem of Uday bhan mishra “Tirathram kabhi jhooth nahi bolte“ , “तीरथराम कभी झूठ नहीं बोलते” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तीरथराम कभी झूठ नहीं बोलते Tirathram kabhi jhooth nahi bolte तीरथराम कभी झूठ नहीं बोलते! सच के अलावा वे कुछ भी नहीं बोलते! अक्सर वे मेरे यहां आते हैं, …

Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “ Manav“ , “मानव” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मानव  Manav   जब किलका को मादकता में हंस देने का वरदान मिला जब सरिता की उन बेसुध सी लहरों को कल कल गान मिला जब भूले से भरमाए …

Hindi Poem of Uday bhan mishra “Goriya“ , “गौरैया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गौरैया Goriya कितने अधिकार से फुदकती है गौरैया! घर में आंगन में छज्जे-मुंडेर पर मेरा घर अपना घर समझती है गौरैया! चहचहाती है गौरैया! खिड़की से झांकती है गौरैया! …

Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “  Hum Divano ki kya hasti“ , “ हम दीवानों की क्या हस्ती” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हम दीवानों की क्या हस्ती  Hum Divano ki kya hasti   हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते …

Hindi Poem of Uday bhan mishra “Ek Cricket match ko dekhte hue“ , “एक क्रिकेट मैच को देखते हुए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक क्रिकेट मैच को देखते हुए Ek Cricket match ko dekhte hue मैं जानता था कि वे हार रहे थे! मैं निश्चिंत होकर अपने बाकी पड़े कामों को निपटा …

Hindi Poem of Bhagwati Charan Verma “ Bhensagadi“ , “भैंसागाड़ी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

भैंसागाड़ी Bhensagadi   चरमर- चरमर- चूँ- चरर- मरर जा रही चली भैंसागाड़ी! गति के पागलपन से प्रेरित चलती रहती संसृति महान; सागर पर चलते हैं जहाज , अंबर पर …