Category: Hindi Poems
अधिभूत Adhibhut मदन के शर केवल पाँच हैं बिंध गए सब प्राण, बचा नहीं हृदय एक कहीं, अधिभूत की नियति है, यति है, गति है, यही । Related …
बूझ पहेली (अंतर्लापिका) Bujh Paheli (Antarlapika) खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग। तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग।। खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी …
कहेन किहेन जेस तुलसी तेस केसे अब होये Kahen kihen jes tulsi tes kese ap hoye कविता केतना जने किहेन हैं आगेउ करिहैं; अपनी अपनी बिधि से ई भवसागर …
सूफ़ी दोहे Sufi Dohe रैनी चढ़ी रसूल की सो रंग मौला के हाथ। जिसके कपरे रंग दिए सो धन धन वाके भाग।। खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलूँ …
धर्म की कमाई Dharam ki kamai पर ले जाती हैं। बनिया तराजू के एक पल्ले पर नमक और दूसरे पर चिरौंजी बराबर तोल कर दिखा देता है और कहता …
दोहे Dohe खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग। तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग।। खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वा की धार। जो …
सह जाओ आघात प्राण, नीरव सह जाओ Sah Jao aghat pran nirav sah jao इसी तरह पाषाण अद्रि से गिरा करेंगे कोमल-कोमल जीव सर्वदा घिरा करेंगे कुचल जाएंगे और …
पवन शान्त नहीं है Pawan Shant nahi hai देखो शांत खड़े उन आमों को हिलाए दे रहा है उस नीम को झकझोर रहा है और देखो तो तुम्हारी कभी …