Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Raskhan “  Ja dinte nirkhyo nand nandan, “जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन  Ja dinte nirkhyo nand nandan   बैन वही उनकौ गुन गाइ, औ कान वही उन बैन सों सानी। हाथ वही उन गात सरैं, अरु पाइ …

Hindi Poem of Raskhan “ Pran vahi ju rahe rijhi vapar, “प्रान वही जु रहैं रिझि वापर” Complete Poem for Class 10 and Class 12

प्रान वही जु रहैं रिझि वापर Pran vahi ju rahe rijhi vapar   प्रान वही जु रहैं रिझि वापर, रूप वही जिहिं वाहि रिझायो। सीस वही जिहिं वे परसे …

Hindi Poem of Raskhan “ Manus ho to vahi – 1, “मानुस हौं तो वही – 1” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मानुस हौं तो वही – 1  Manus ho to vahi – 1   कर कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजती है मुरली कर में अधरा मुस्कानी तरंग महाछबि …

Hindi Poem of Raskhan “  Gai dahai nay a pe kahu, “गाई दहाई न या पे कहूँ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

गाई दहाई न या पे कहूँ  Gai dahai nay a pe kahu   गाई दहाई न या पे कहूँ, नकहूँ यह मेरी गरी, निकस्थौ है। धीर समीर कालिंदी के …

Hindi Poem of Raskhan “  Khelat Phag suhag bhari, “खेलत फाग सुहाग भरी” Complete Poem for Class 10 and Class 12

खेलत फाग सुहाग भरी  Khelat Phag suhag bhari   खेलत फाग सुहाग भरी, अनुरागहिं लालन क धरि कै । भारत कुंकुम, केसर की पिचकारिन में रंग को भरि कै …

Hindi Poem of Raskhan “ Mohan ho-ho-ho-ho hori, “मोहन हो-हो, हो-हो होरी” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मोहन हो-हो, हो-हो होरी  Mohan ho-ho-ho-ho hori   मोहन हो-हो, हो-हो होरी । काल्ह हमारे आँगन गारी दै आयौ, सो को री ॥ अब क्यों दुर बैठे जसुदा ढिंग, …

Hindi Poem of Raskhan “ Nain lakhyo jab kunjan te, “नैन लख्यो जब कुंजन तैं” Complete Poem for Class 10 and Class 12

नैन लख्यो जब कुंजन तैं  Nain lakhyo jab kunjan te   नैन लख्यो जब कुंजन तैं, बनि कै निकस्यो मटक्यो री। सोहत कैसे हरा टटकौ, सिर तैसो किरीट लसै …

Hindi Poem of Raskhan “ Sohat hai chandva sir mor ko, “सोहत है चँदवा सिर मोर को” Complete Poem for Class 10 and Class 12

सोहत है चँदवा सिर मोर को Sohat hai chandva sir mor ko   सोहत है चँदवा सिर मोर को, तैसिय सुन्दर पाग कसी है। तैसिय गोरज भाल विराजत, तैसी …