Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Bhushan “Indra nij heart firta gaj indra aru, “इंद्र निज हेरत फिरत गज इंद्र अरु” Complete Poem for Class 10 and Class 12

इंद्र निज हेरत फिरत गज इंद्र अरु Indra nij heart firta gaj indra aru इंद्र निज हेरत फिरत गज इंद्र अरु, इंद्र को अनुज हेरै दुगध नदीश कौं. भूषण …

Hindi Poem of Bhushan “ Bane fahrane gharane ghanta gajan ke, “बाने फहराने घहराने घंटा गजन के” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बाने फहराने घहराने घंटा गजन के  Bane fahrane gharane ghanta gajan ke बाने फहराने घहराने घंटा गजन के, नाहीं ठहराने राव राने देस-देस के. नग भहराने ग्राम नगर पराने …

Hindi Poem of Bhushan “Saji Cturang sena ang me umang dhar, “साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धार” Complete Poem for Class 10 and Class 12

साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धार Saji Cturang sena ang me umang dhar साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धरि सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है भूषण भनत …

Hindi Poem of Bhushan “Braham ke Anant te nikse, “ब्रह्म के आनन तें निकसे ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

ब्रह्म के आनन तें निकसे Braham ke Anant te nikse ब्रह्म के आनन तें निकसे अत्यंत पुनीत तिहूँ पुर मानी . राम युधिष्ठिर के बरने बलमीकहु व्यास के अंग …

Hindi Poem of Ayodhya Prasad Upadhyay Hariaudh “Janambhumi, “जन्‍मभूमि ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जन्‍मभूमि Janambhumi सुरसरि सी सरि है कहाँ मेरु सुमेर समान। जन्मभूमि सी भू नहीं भूमण्डल में आन।। प्रतिदिन पूजें भाव से चढ़ा भक्ति के फूल। नहीं जन्म भर हम …

Hindi Poem of Ayodhya Prasad Upadhyay Hariaudh “Sarita, “सरिता ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

सरिता Sarita किसे खोजने निकल पड़ी हो। जाती हो तुम कहाँ चली। ढली रंगतों में हो किसकी। तुम्हें छल गया कौन छली।।1।। क्यों दिन–रात अधीर बनी–सी। पड़ी धरा पर …

Hindi Poem of Ayodhya Prasad Upadhyay Hariaudh “Sandhya  , “संध्या ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

संध्या Sandhya   दिवस का अवसान समीप था गगन था कुछ लोहित हो चला तरू–शिखा पर थी अब राजती कमलिनी–कुल–वल्लभ की प्रभा विपिन बीच विहंगम–वृंद का कल–निनाद विवधिर्त था …

Hindi Poem of Ayodhya Prasad Upadhyay Hariaudh “Badal, “बादल ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बादल Badal सखी! बादल थे नभ में छाये बदला था रंग समय का थी प्रकृति भरी करूणा में कर उपचय मेघ निश्चय का।। वे विविध रूप धारण कर नभ–तल …