Category: Hindi Poems
नख़रेदार – (सो तो है) – अशोक चक्रधर Nakhredar -Ashok Chakradhar भूख लगी है चलो, कहीं कुछ खाएं । देखता रहा उसको खाते हुए लगती है कैसी, देखती …
पहले पहले – (सो तो है) – अशोक चक्रधर Pehle Pehle -Ashok Chakradhar मुझे याद है वह जज़्बाती शुरुआत की पहली मुलाक़ात जब सोते हुए उसके बाल अंगुल …
चेतन जड़ – (सो तो है) – अशोक चक्रधर Chetn Jad -Ashok Chakradhar प्यास कुछ और बढ़ी और बढ़ी । बेल कुछ और चढ़ी और चढ़ी । प्यास …
क्रम – (सो तो है) – अशोक चक्रधर Kram -Ashok Chakradhar एक अंकुर फूटा पेड़ की जड़ के पास । एक किल्ला फूटा फुनगी पर । अंकुर बढ़ा …
माशो की माँ – (सो तो है) – अशोक चक्रधर Masho ki maa -Ashok Chakradhar नुक्कड़ पर माशो की माँ बेचती है टमाटर । चेहरे पर जितनी झुर्रियाँ …
ठेकेदार भाग लिया – (सो तो है) – अशोक चक्रधर Thekedar Bhag liya -Ashok Chakradhar फावड़े ने मिट्टी काटने से इंकार कर दिया और बदरपुर पर जा बैठा …
मेमने ने देखे जब गैया के आंसू – अशोक चक्रधर Memne ne dekhe jab geya ke aansu -Ashok Chakradhar (खेल में मग्न बच्चों को घर की सुध नहीं रहती) …
आलपिन कांड – अशोक चक्रधर Aalpin kand -Ashok Chakradhar बंधुओ, उस बढ़ई ने चक्कू तो ख़ैर नहीं लगाया पर आलपिनें लगाने से बाज़ नहीं आया। ऊपर चिकनी-चिकनी रैक्सीन …