Category: Hindi Poems
फिर तो – अशोक चक्रधर Fir to -Ashok Chakradhar आख़िर कब तक इश्क इकतरफ़ा करते रहोगे, उसने तुम्हारे दिल को चोट पहुँचाई तो क्या करोगे? -ऐसा हुआ तो …
परदे हटा के देखो – अशोक चक्रधर Parde Hata ke Dekho -Ashok Chakradhar ये घर है दर्द का घर, परदे हटा के देखो, ग़म हैं हंसी के अंदर, …
सिक्के की औक़ात – अशोक चक्रधर Sikke ki Aukat -Ashok Chakradhar एक बार बरखुरदार! एक रुपए के सिक्के, और पाँच पैसे के सिक्के में, लड़ाई हो गई, पर्स …
गुनह करेंगे – अशोक चक्रधर Gunah Karenge -Ashok Chakradhar हम तो करेंगे गुनह करेंगे पुनह करेंगे। वजह नहीं बेवजह करेंगे। कल से ही लो कलह करेंगे। जज़्बातों को …
कामना – अशोक चक्रधर Kamna -Ashok Chakradhar सुदूर कामना सारी ऊर्जाएं सारी क्षमताएं खोने पर, यानि कि बहुत बहुत बहुत बूढ़ा होने पर, एक दिन चाहूंगा कि तू …
ससुर जी उवाच – अशोक चक्रधर Sasur ji Uvach -Ashok Chakradhar डरते झिझकते सहमते सकुचाते हम अपने होने वाले ससुर जी के पास आए, बहुत कुछ कहना चाहते …
आदमी का आकाश – रामावतार त्यागी Aadmi ka aakash -Ramavtar Tyagi भूमि के विस्तार में बेशक कमी आई नहीं है आदमी का आजकल आकाश छोटा हो गया है। …
मैं दिल्ली हूँ – रामावतार त्यागी Mein dilli hu -Ramavtar Tyagi मैं दिल्ली हूँ मैंने कितनी, रंगीन बहारें देखी हैं। अपने आँगन में सपनों की, हर ओर कितारें …