Category: Hindi Poems
कदम्ब – अम्बर रंजना पाण्डेय Kadamb – Ambar Ranjna Pandey कर्बुर शब्दों से बने वाक्य का एक ही रंग होता हैं जैसे कदम्ब के सब फूलों का हैं …
गूलर – अम्बर रंजना पाण्डेय Goolar – Ambar Ranjna Pandey तुम तो कहते थे गूलर दिख जाने से दारिद्रय आता हैं । कोढ़ी बता गए नागार्जुन भी इसे …
महानदी – अम्बर रंजना पाण्डेय Mahanadi – Ambar Ranjna Pandey मध्यदेश का सीना ताम्बई, स्थूल व रोमिल । पड़ी है महानदी उस पर, पहनकर वनों की मेखला घिसे …
लखुंदर – अम्बर रंजना पाण्डेय Lakhunder – Ambar Ranjna Pandey नदी में दोलते है सहस्रों सूर्य, स्वच्छ दर्पण झिलमिला रहा हैं । मुख न देख पाओगी तुम स्नान …
स्पर्श-2 – अम्बर रंजना पाण्डेय Sparsh -2 – Ambar Ranjna Pandey तुमने मुझे छुआ पहली बार और फल पकने लगा भीतर ही भीतर सूर्य पर टपकने लगी नींबू …
स्पर्श-1 – अम्बर रंजना पाण्डेय Sparsh – Ambar Ranjna Pandey दोपहर का खजूर सूर्य के एकदम निकट पानी बस मटके में छाँह बस जाती अरथी के नीचे आँखों …
सिन्दूर लगाना (डपटना) – अम्बर रंजना पाण्डेय Sundur Lagana – Ambar Ranjna Pandey छोटे छोटे आगे को गिरे आते चपल घूँघरों में डाली तेल की आधी शीशी , …
केश काढ़ना (झगड़ा) – अम्बर रंजना पाण्डेय Kesh Kadhna – Ambar Ranjna Pandey श्यामा भूतनाथ की; केश काढ़ती रहती हैं । नील नदियों से लम्बे-लम्बे केश उलझ गए …