Category: Hindi Poems
ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है – ग़ालिब Ja-bas-ki maskh-e-Tamasha junu-alamat hai -Ghalib ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है कुशाद-ओ-बस्त-ए-मिज़्हा सीली-ए-नदामत है न जानूँ क्यूँकि मिटे दाग़-ए-तान-ए-बद-अहदी तुझे कि आइना भी वार्ता-ए-मलामत …
जब तक दहान-ए-ज़ख़्म न पैदा करे कोई – ग़ालिब Jab tak dahan-e-jakham na peda kare koi -Ghalib जब तक दहान-ए-ज़ख़्म न पैदा करे कोई मुश्किल कि तुझ से …
चशम-ए-ख़ूबां ख़ामुशी में भी नवा-परदाज़ है – ग़ालिब Chashm-e-khub khamushi mein bhi nava-padaz hai -Ghalib चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है सुर्मा तो कहवे कि दूद-ए-शोला-ए-आवाज़ है पैकर-ए-उश्शाक़ साज़-ए-ताला-ए-ना-साज़ …
घर में था क्या कि तिरा ग़म उसे ग़ारत करता – ग़ालिब Ghar mein tha kya ki tera gam use gharat karta -Ghalib घर में था क्या कि …
गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज – ग़ालिब Gulshan mein bandobast b-rang-e-digar hai aaj -Ghalib गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज क़ुमरी का तौक़ हल्क़ा-ए-बैरून-ए-दर है आज आता …
गरम-ए-फ़रयाद रखा शक्ल-ए-निहाली ने मुझे – ग़ालिब Garam-e-faryad rakha skakal-e-nihali ne mujhe -Ghalib गरम-ए फ़रयाद रखा शकल-ए निहाली ने मुझे तब अमां हिजर में दी बरद-ए लियाली ने …
गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग – ग़ालिब Gar tujh ko hai yakeen-e-eejabat dua na mang -Ghalib गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग यानी बग़ैर-ए-यक-दिल-ए-बे-मुद्दआ …
कोह के हों बार-ए-ख़ातिर गर सदा हो जाइये – ग़ालिब Koh ke ho baar-e-khatir gar sada ho jaiye -Ghalib कोह के हों बार-ए-ख़ातिर गर सदा हो जाइए बे-तकल्लुफ़ ऐ …