Category: Hindi Poems
दोहे – हुल्लड़ मुरादाबादी Dohe – Hullad Muradabadi कर्ज़ा देता मित्र को, वह मूर्ख कहलाए, महामूर्ख वह यार है, जो पैसे लौटाए। बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय, …
क्या करेगी चांदनी – हुल्लड़ मुरादाबादी Kya karegi Chandani – Hullad Muradabadi चांद औरों पर मरेगा क्या करेगी चांदनी प्यार में पंगा करेगा क्या करेगी चांदनी चांद से …
ग़ज़ल हो गई – अल्हड़ बीकानेरी Gazal ho gai – Alhad Bikaneri लफ़्ज़ तोड़े मरोड़े ग़ज़ल हो गई सर रदीफ़ों के फोड़े ग़ज़ल हो गई लीद करके अदीबों की …
दो नावों की सवारी – अल्हड़ बीकानेरी do navo ki savari – Alhad Bikaneri कविता के साथ चली चाकरी चालीस साल आखर मिटाए कब मिटे हैं ललाट के …
मन मस्त हुआ – अल्हड़ बीकानेरी Man mast hua – Alhad Bikaneri आदि से अनूप हूँ मैं, तेरा ही स्वरूप हूँ मैं मेरी भी कथाएँ हैं अनन्त मेरे …
दिल्ली – अल्हड़ बीकानेरी Delhi – Alhad Bikaneri दिल्ली तो करोड़ों दिल वालों की नगरिया है कोई ले दिमाग़ से क्यों काम मेरे राम जी भूले से, यहाँ जो …
लोन – अल्हड़ बीकानेरी Loan – Alhad Bikaneri लोन से लिया है फ़्लैट, लोन से ख़रीदी कार सूई भी ख़रीदी न नक़द मेरे राम जी लोन से पढ़ाए …
दारोग़ा जी – अल्हड़ बीकानेरी Daroga ji – Alhad Bikaneri डाकू नहीं, ठग नहीं, चोर या उचक्का नहीं कवि हूँ मैं मुझे बख्श दीजिए दारोग़ा जी काव्य-पाठ हेतु …