Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Masrato ko ye ahle-havas na kho dete , “मसर्रतों को ये अहले-हवस न खो देते ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मसर्रतों को ये अहले-हवस न खो देते – मजरूह सुल्तानपुरी Masrato ko ye ahle-havas na kho dete – Majruh Sultanpuri   मसर्रतों को ये अहले-हवस न खो देते जो …

Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Kab tak mlu jabi se , “कब तक मलूँ जबीं से ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कब तक मलूँ जबीं से – मजरूह सुल्तानपुरी Kab tak mlu jabi se – Majruh Sultanpuri   कब तक मलूँ जबीं से उस संग-ए-दर को मैं ऐ बेकसी संभाल, …

Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Jla ke mashal-e-jaan hum junu sifat chale , “जला के मशाल-ए-जान हम जुनूं सिफात चले ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जला के मशाल-ए-जान हम जुनूं सिफात चले – मजरूह सुल्तानपुरी Jla ke mashal-e-jaan hum junu sifat chale – Majruh Sultanpuri   जला के मशाल-ए-जान हम जुनूं सिफात चले जो …

Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Khatam-e-shor-e-toofa , “ख़त्म-ए-शोर-ए-तूफ़ाँ ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

ख़त्म-ए-शोर-ए-तूफ़ाँ – मजरूह सुल्तानपुरी Khatam-e-shor-e-toofa – Majruh Sultanpuri   ख़त्म-ए-शोर-ए-तूफ़ाँ था दूर थी सियाही भी दम के दम में अफ़साना थी मेरी तबाही भी इल्तफ़ात समझूँ या बेरुख़ी कहूँ …

Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Nigah-e-saaki-e-naamharba , “निगाह-ए-साक़ी-ए-नामहरबाँ ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

निगाह-ए-साक़ी-ए-नामहरबाँ – मजरूह सुल्तानपुरी Nigah-e-saaki-e-naamharba – Majruh Sultanpuri   निगाह-ए-साक़ी-ए-नामहरबाँ ये क्या जाने कि टूट जाते हैं ख़ुद दिल के साथ पैमाने मिली जब उनसे नज़र बस रहा था …

Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Hum ko Junu kya sikhlate ho , “हम को जुनूँ क्या सिखलाते हो ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

हम को जुनूँ क्या सिखलाते हो – मजरूह सुल्तानपुरी Hum ko Junu kya sikhlate ho – Majruh Sultanpuri   हम को जुनूँ क्या सिखलाते हो हम थे परेशाँ तुमसे …

Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Hum hai mta-e-kucha-o-bazar ki tarha , “हम है मता-ए-कूचा-ओ-बज़ार की तरह ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

हम है मता-ए-कूचा-ओ-बज़ार की तरह – मजरूह सुल्तानपुरी Hum hai mta-e-kucha-o-bazar ki tarha – Majruh Sultanpuri   हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह उठती है हर निगाह ख़रीदार की तरह …

Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Mujhe sahal ho gai manjile , “मुझे सहल हो गईं मंज़िलें ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मुझे सहल हो गईं मंज़िलें – मजरूह सुल्तानपुरी Mujhe sahal ho gai manjile – Majruh Sultanpuri   मुझे सहल हो गईं मंजिलें वो हवा के रुख भी बदल गये …