Category: Hindi Poems
कबीर के पद -कबीर Kabir ke Pad -Kabir प्रेम नगर का अंत न पाया, ज्यों आया त्यों जावैगा॥ सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता, या जीवन में क्या …
अंखियां तो झाईं परी -कबीर Ankhiyan to Jhai pari -Kabir अंखियां तो झाईं परी, पंथ निहारि निहारि। जीहड़ियां छाला परया, नाम पुकारि पुकारि। बिरह कमन्डल कर लिये, बैरागी …
बहुरि नहिं आवना या देस -कबीर Bahuri nahi Aavna ya des -Kabir बहुरि नहिं आवना या देस ॥ जो जो गए बहुरि नहि आए, पठवत नाहिं सेस ॥1॥ …
समरथाई का अंग -कबीर Samarthai ka ang -Kabir जिसहि न कोई तिसहि तू, जिस तू तिस ब कोइ । दरिगह तेरी सांईयां , ना मरूम कोइ होइ ॥1॥ …
अवधूता युगन युगन हम योगी -कबीर Avdhuta Yugan Yugan hum yogi -Kabir अवधूता युगन युगन हम योगी, आवै ना जाय मिटै ना कबहूं, सबद अनाहत भोगी। सभी ठौर …
चांणक का अंग -कबीर Chanank ka ang -Kabir इहि उदर कै कारणे, जग जाच्यों निस जाम। स्वामीं-पणो जो सिरि चढ्यो, सर्यो न एको काम॥1॥ स्वामी हूवा सीतका, पैकाकार …
कथनी-करणी का अंग -कबीर Kathni-Karani ka ang -Kabir जैसी मुख तैं नीकसै, तैसी चालै चाल। पारब्रह्म नेड़ा रहै, पल में करै निहाल॥ पद गाए मन हरषियां, साँखी कह्यां …
कबीर की साखियाँ -कबीर Kabir ki Sakhiyan -Kabir कस्तूरी कुँडली बसै, मृग ढूँढे बन माहिँ। ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिँ॥ प्रेम ना बाड़ी उपजे, प्रेम …