Category: Hindi Poems
यह अमर निशानी किसकी है? -माखन लाल चतुर्वेदी Yah Amar Nishani Kiski hai – Makhan Lal Chaturvedi यह अमर निशानी किसकी है? बाहर से जी, जी से बाहर- …
वेणु लो, गूँजे धरा -माखन लाल चतुर्वेदी Venu lo, Gunje Dhara – Makhan Lal Chaturvedi वेणु लो, गूँजे धरा मेरे सलोने श्याम एशिया की गोपियों ने वेणि बाँधी …
अमर राष्ट्र -माखन लाल चतुर्वेदी Amar Rashtra – Makhan Lal Chaturvedi छोड़ चले, ले तेरी कुटिया, यह लुटिया-डोरी ले अपनी, फिर वह पापड़ नहीं बेलने, फिर वह माल …
ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा -माखन लाल चतुर्वेदी Usha ke sang, Pahin Arunima – Makhan Lal Chaturvedi ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा मेरी सुरत बावली बोली- उतर न …
ये वृक्षों में उगे परिन्दे -माखन लाल चतुर्वेदी Ye Vriksho mein uge parinde – Makhan Lal Chaturvedi ये वृक्षों में उगे परिन्दे पंखुड़ि-पंखुड़ि पंख लिये अग जग में …
सिपाही -माखन लाल चतुर्वेदी Sipahi – Makhan Lal Chaturvedi गिनो न मेरी श्वास, छुए क्यों मुझे विपुल सम्मान? भूलो ऐ इतिहास, ख़रीदे हुए विश्व-ईमान !! अरि-मुड़ों का दान, …
गंगा की विदाई -माखन लाल चतुर्वेदी Ganga ki vidai – Makhan Lal Chaturvedi शिखर शिखारियों में मत रोको, उसको दौड़ लखो मत टोको, लौटे? यह न सधेगा रुकना …
गाली में गरिमा घोल-घोल -माखन लाल चतुर्वेदी Gali me garima ghol-ghol – Makhan Lal Chaturvedi गाली में गरिमा घोल-घोल, क्यों बढ़ा लिया यह नेह-तोल। कितने मीठे, कितने प्यारे, …