Category: Hindi Poems
स्वदेश के प्रति -सुभद्रा कुमारी चौहान Swadesh ke prati – Subhadra Kumari Chauhan आ, स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ, स्वागत करती हूँ तेरा। तुझे देखकर आज हो रहा, दूना …
साध -सुभद्रा कुमारी चौहान Sadh – Subhadra Kumari Chauhan मृदुल कल्पना के चल पँखों पर हम तुम दोनों आसीन। भूल जगत के कोलाहल को रच लें अपनी सृष्टि …
वीरों का हो कैसा वसन्त -सुभद्रा कुमारी चौहान Veero ka ho kesa basant – Subhadra Kumari Chauhan आ रही हिमालय से पुकार है उदधि गरजता बार बार प्राची …
यह कदम्ब का पेड़ -सुभद्रा कुमारी चौहान Yah Kadamb ka pedh – Subhadra Kumari Chauhan यह कदंब का पेड़ अगर मां होता जमना तीरे मैं भी उस पर …
मधुमय प्याली -सुभद्रा कुमारी चौहान Madhumay Pyali – Subhadra Kumari Chauhan रीती होती जाती थी जीवन की मधुमय प्याली। फीकी पड़ती जाती थी मेरे यौवन की लाली।। हँस-हँस …
विदा -सुभद्रा कुमारी चौहान Vida – Subhadra Kumari Chauhan अपने काले अवगुंठन को रजनी आज हटाना मत। जला चुकी हो नभ में जो ये दीपक इन्हें बुझाना मत॥ …
मेरा जीवन -सुभद्रा कुमारी चौहान Mere Jeevan – Subhadra Kumari Chauhan मैंने हँसना सीखा है मैं नहीं जानती रोना; बरसा करता पल-पल पर मेरे जीवन में सोना। मैं …
विजयी मयूर -सुभद्रा कुमारी चौहान Vijayi Mayoor – Subhadra Kumari Chauhan तू गरजा, गरज भयंकर थी, कुछ नहीं सुनाई देता था। घनघोर घटाएं काली थीं, पथ नहीं दिखाई …