Category: Hindi Poems
कलह-कारण -सुभद्रा कुमारी चौहान Kalah Karan – Subhadra Kumari Chauhan कड़ी आराधना करके बुलाया था उन्हें मैंने। पदों को पूजने के ही लिए थी साधना मेरी॥ तपस्या नेम …
उपेक्षा -सुभद्रा कुमारी चौहान Upeksha – Subhadra Kumari Chauhan इस तरह उपेक्षा मेरी, क्यों करते हो मतवाले! आशा के कितने अंकुर, मैंने हैं उर में पाले॥ विश्वास-वारि से …
अनोखा दान -सुभद्रा कुमारी चौहान Anokha Daan – Subhadra Kumari Chauhan अपने बिखरे भावों का मैं, गूँथ अटपटा सा यह हार। चली चढ़ाने उन चरणों पर, अपने हिय …
उल्लास -सुभद्रा कुमारी चौहान Ullas – Subhadra Kumari Chauhan शैशव के सुन्दर प्रभात का मैंने नव विकास देखा। यौवन की मादक लाली में जीवन का हुलास देखा।। जग-झंझा-झकोर …
आराधना -सुभद्रा कुमारी चौहान Aradhna – Subhadra Kumari Chauhan जब मैं आँगन में पहुँची, पूजा का थाल सजाए। शिव जी की तरह दिखे वे, बैठे थे ध्यान लगाए॥ …
कोयल -सुभद्रा कुमारी चौहान Koyal – Subhadra Kumari Chauhan देखो कोयल काली है पर, मीठी है इसकी बोली, इसने ही तो कूक कूक कर, आमों में मिश्री घोली। …
मेरा नया बचपन -सुभद्रा कुमारी चौहान Mera naya Bachpan – Subhadra Kumari Chauhan बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी। गया ले गया तू जीवन की सबसे …
झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान Jhainsi Ki Rani – Subhadra Kumari Chauhan सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से …