Category: Hindi Poems
पत्रोत्कंठित जीवन का विष -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Patrokanthit jeevan ka vish – Suryakant Tripathi “Nirala” पत्रोत्कंठित जीवन का विष बुझा हुआ है, आज्ञा का प्रदीप जलता है हृदय-कुंज में, …
स्नेह-निर्झर बह गया है -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Sneh-Nirjhar bah Gya hai – Suryakant Tripathi “Nirala” स्नेह-निर्झर बह गया है! रेत ज्यों तन रह गया है। आम की यह डाल …
आज प्रथम गाई पिक -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Aaj Pratham Gai Pik – Suryakant Tripathi “Nirala” आज प्रथम गाई पिक पञ्चम। गूंजा है मरु विपिन मनोरम। मरुत-प्रवाह, कुसुम-तरु फूले, …
ख़ून की होली जो खेली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Khoon Ki holi jop kheli – Suryakant Tripathi “Nirala” युवकजनों की है जान; ख़ून की होली जो खेली। पाया है लोगों …
उक्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Ukti – Suryakant Tripathi “Nirala” कुछ न हुआ, न हो, मुझे विश्व का सुख, श्री, यदि केवल पास तुम रहो! मेरे नभ के बादल …
दलित जन पर करो करुणा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Dalit Jan par Karo Karuna – Suryakant Tripathi “Nirala” दलित जन पर करो करुणा। दीनता पर उतर आये प्रभु, तुम्हारी …
भर देते हो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Bhar Dete Ho – Suryakant Tripathi “Nirala” भर देते हो बार-बार, प्रिय, करुणा की किरणों से क्षुब्ध हृदय को पुलकित कर देते हो …
रँग गई पग-पग धन्य धरा -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Rang Gai Pag-Pag Dhanya Dhara – Suryakant Tripathi “Nirala” रँग गई पग-पग धन्य धरा,— हुई जग जगमग मनोहरा । वर्ण …