Category: Hindi Poems
प्रपात के प्रति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Prapat ke prati – Suryakant Tripathi “Nirala” अंचल के चंचल क्षुद्र प्रपात ! मचलते हुए निकल आते हो; उज्ज्वल! घन-वन-अंधकार के साथ …
मौन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Mon – Suryakant Tripathi “Nirala” बैठ लें कुछ देर, आओ, एक पथ के पथिक-से प्रिय, अंत और अनन्त के, तम-गहन-जीवन घेर। मौन मधु हो …
लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Lu Ke Jhonkon Jhulse Hue the jo – Suryakant Tripathi “Nirala” लू के झोंकों झुलसे हुए थे जो, …
चुम्बन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Chumban – Suryakant Tripathi “Nirala” लहर रही शशिकिरण चूम निर्मल यमुनाजल, चूम सरित की सलिल राशि खिल रहे कुमुद दल कुमुदों के स्मित-मन्द खुले …
उत्साह -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Utsah – Suryakant Tripathi “Nirala” बादल, गरजो!– घेर घेर घोर गगन, धाराधर जो! ललित ललित, काले घुँघराले, बाल कल्पना के-से पाले, विद्युत-छवि उर में, …
आज प्रथम गाई पिक पंचम -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Aaj Pratham Gai Pik Pancham – Suryakant Tripathi “Nirala” आज प्रथम गाई पिक पंचम। गूंजा है मरु विपिन मनोरम। मस्त …
मातृ वंदना -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Matar Vandana – Suryakant Tripathi “Nirala” नर जीवन के स्वार्थ सकल बलि हों तेरे चरणों पर, माँ मेरे श्रम सिंचित सब फल। जीवन के …
खेलूँगी कभी न होली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Khelungi kabhi na holi – Suryakant Tripathi “Nirala” खेलूँगी कभी न होली उससे जो नहीं हमजोली। यह आँख नहीं कुछ बोली, …