Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Kisi Ka Deep Nishthur hu ”, “किसी का दीप निष्ठुर हूँ ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

किसी का दीप निष्ठुर हूँ -महादेवी वर्मा Kisi Ka Deep Nishthur hu – Mahadevi Verma   शलभ मैं शापमय वर हूँ! किसी का दीप निष्ठुर हूँ! ताज है जलती …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Sab Aankho ke Aansu Ujle ”, “सब आँखों के आँसू उजले ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

सब आँखों के आँसू उजले -महादेवी वर्मा Sab Aankho ke Aansu Ujle – Mahadevi Verma   सब आँखों के आँसू उजले सबके सपनों में सत्य पला! जिसने उसको ज्वाला …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Jeevan Deep ”, “जीवन दीप” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जीवन दीप -महादेवी वर्मा Jeevan Deep – Mahadevi Verma   किन उपकरणों का दीपक, किसका जलता है तेल? किसकी वृत्ति, कौन करता इसका ज्वाला से मेल? शून्य काल के …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Uttar ”, “उत्तर ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

उत्तर -महादेवी वर्मा Uttar – Mahadevi Verma   इस एक बूँद आँसू में, चाहे साम्राज्य बहा दो, वरदानों की वर्षा से, यह सूनापन बिखरा दो; इच्छाओं की कम्पन से, …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Shunya se Takra kar Sukumar ”, “शून्य से टकरा कर सुकुमार ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

शून्य से टकरा कर सुकुमार -महादेवी वर्मा Shunya se Takra kar Sukumar – Mahadevi Verma   शून्य से टकरा कर सुकुमार करेगी पीड़ा हाहाकार, बिखर कर कन कन में …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Ur Timirmay Ghar Timirmay”, “उर तिमिरमय घर तिमिरमय ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

उर तिमिरमय घर तिमिरमय -महादेवी वर्मा Ur Timirmay Ghar Timirmay – Mahadevi Verma   उर तिमिरमय घर तिमिरमय, चल सजनि दीपक बार ले! राह में रो रो गये हैं, …

Hindi Poem of Mahadevi Verma “Ashru yah Pani Nahi Hai ”, “अश्रु यह पानी नहीं है ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

अश्रु यह पानी नहीं है -महादेवी वर्मा Ashru yah Pani Nahi Hai – Mahadevi Verma   अश्रु यह पानी नहीं है, यह व्यथा चंदन नहीं है! यह न समझो …

Hindi Poem of Sumitranand Pant “Aao, Hum Apne Men Teve ”, “आओ, हम अपना मन टोवें ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

आओ, हम अपना मन टोवें -सुमित्रानंदन पंत Aao, Hum Apne Men Teve – Sumitranand Pant आओ, अपने मन को टोवें! व्यर्थ देह के सँग मन की भी, निर्धनता का …