Category: Hindi Poems
पन्द्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस -सुमित्रानंदन पंत Pandrah August Unnis so Sentalis -Sumitranand Pant चिर प्रणम्य यह पुष्य अहन, जय गाओ सुरगण, आज अवतरित हुई चेतना भू पर नूतन …
धेनुएँ -सुमित्रानंदन पंत Dhenuyen – Sumitranand Pant ओ रंभाती नदियों, बेसुध कहाँ भागी जाती हो? वंशी-रव तुम्हारे ही भीतर है! ओ, फेन-गुच्छ लहरों की पूँछ उठाए दौड़ती नदियों, इस …
छोड़ द्रुमों की मृदु छाया -सुमित्रानंदन पंत Chodo Dhumon ki Mridu Chaya – Sumitranand Pant छोड़ द्रुमों की मृदु छाया, तोड़ प्रकृति से भी माया, बाले! तेरे बाल-जाल में …
परिवर्तन -सुमित्रानंदन पंत Parivartan – Sumitranand Pant आज कहां वह पूर्ण-पुरातन, वह सुवर्ण का काल? भूतियों का दिगंत-छवि-जाल, ज्योति-चुम्बित जगती का भाल? राशि राशि विकसित वसुधा का वह यौवन-विस्तार? …
जग-जीवन में जो चिर महान -सुमित्रानंदन पंत Jag-Jeevan mein jo chir mahan – Sumitranand Pant जग-जीवन में जो चिर महान, सौंदर्य – पूर्ण औ सत्य – प्राण, मैं उसका …
पाषाण खंड -सुमित्रानंदन पंत Pashan Khand – Sumitranand Pant वह अनगढ़ पाषाण खंड था- मैंने तपकर, खंटकर, भीतर कहीं सिमटकर उसका रूप निखारा तदवत भाव उतारा श्री मुख …
नौका-विहार -सुमित्रानंदन पंत Noka Veehar – Sumitranand Pant शांत स्निग्ध, ज्योत्स्ना उज्ज्वल! अपलक अनंत, नीरव भू-तल! सैकत-शय्या पर दुग्ध-धवल, तन्वंगी गंगा, ग्रीष्म-विरल, लेटी हैं श्रान्त, क्लान्त, निश्चल! तापस-बाला …
भारतमाता -सुमित्रानंदन पंत Bharat Mata – Sumitranand Pant भारत माता ग्रामवासिनी। खेतों में फैला है श्यामल धूल भरा मैला सा आँचल, गंगा यमुना में आँसू जल, मिट्टी कि प्रतिमा …