Category: Hindi Poems
चाँदनी -सुमित्रानंदन पंत Chandni -Sumitranand Pant नीले नभ के शतदल पर वह बैठी शरद-हंसिनि, मृदु-करतल पर शशि-मुख धर, नीरव, अनिमिष, एकाकिनि! वह स्वप्न-जड़ित नत-चितवन छू लेती अंग-जग का मन, …
मछुए का गीत -सुमित्रानंदन पंत Machue ka Geet – Sumitranand Pant प्रेम की बंसी लगी न प्राण! तू इस जीवन के पट भीतर कौन छिपी मोहित निज छवि पर? …
मैं सबसे छोटी होऊँ -सुमित्रानंदन पंत Mein Sabse choti houn – Sumitranand Pant मैं सबसे छोटी होऊँ, तेरी गोदी में सोऊँ, तेरा अंचल पकड़-पकड़कर फिरू सदा माँ! तेरे साथ, …
यह धरती कितना देती है -सुमित्रानंदन पंत Yah Dharti Kitni Deti Hai – Sumitranand Pant मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे, सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे, …
लहरों का गीत -सुमित्रानंदन पंत Lahron ka Geet – Sumitranand Pant अपने ही सुख से चिर चंचल हम खिल खिल पडती हैं प्रतिपल, जीवन के फेनिल मोती को ले …
विजय -सुमित्रानंदन पंत Vijay – Sumitranand Pant मैं चिर श्रद्धा लेकर आई वह साध बनी प्रिय परिचय में, मैं भक्ति हृदय में भर लाई, वह प्रीति बनी उर परिणय …
पर्वत प्रदेश में पावस -सुमित्रानंदन पंत Parvat Pradesh mein Pavas – Sumitranand Pant पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश, पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश। मेखलाकर पर्वत अपार अपने सहस्त्र दृग-सुमन फाड़, अवलोक …
दो लड़के -सुमित्रानंदन पंत Do Ladke – Sumitranand Pant मेरे आँगन में, (टीले पर है मेरा घर) दो छोटे-से लड़के आ जाते है अकसर! नंगे तन, गदबदे, साँवले, सहज …